बिना अभिभावकों की सहमति जाने ” राजस्थान प्राइवेट एजुकेशन इंस्टीटयूशंस रेगुलेटरी अथारिटी बिल 2023 ” लागू ना करे सरकार
जयपुर। यह सत्य है की निजी स्कूलों की मनमानियों पर रोक लगनी चाहिए किंतु सरकार यह रोक केवल निजी स्कूलों के साथ बैठक कर केवल स्कूलों और अधिकारियों का पक्ष जानकर रोक नही लगा सकती है, अगर स्कूलों पर कानूनी शिकंजा कसना है तो सरकार को स्कूलों पर सख्त कार्यवाही के साथ-साथ अभिभावकों का पक्ष जाने की भी सख्त आवश्यकता है। राजस्थान प्राइवेट एजुकेशन इंस्टीटयूशंस रेगुलेटरी अथारिटी बिल 2023 सुनियोजित षडयंत्र है अभिभावकों और छात्रों के साथ जिससे सरकार और निजी स्कूल मिलकर प्रदेश पर थोप रहे है और अब प्रदेश के निजी स्कूल दिखावा करने के लिए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल प्रदेश के 2 करोड़ से अधिक अभिभावकों व छात्रों को गुमराह कर रहे है। सरकार को इन निजी स्कूल संचालकों को पढ़ाई करवाने की बजाय राजनीति करने का लाइसेंस दे देना चाहिए जिससे यह लोग केवल कानून के खिलाफ ही राजनीति करते रहे।
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की राजस्थान प्राइवेट एजुकेशन इंस्टीटयूशंस रेगुलेटरी अथारिटी बिल 2023 बिना अभिभावकों की सहमति और पक्ष जाने बनाया गया है। जो अभिभावकों और छात्रों के साथ सबसे बड़ा षडयंत्र है, सरकार ने इस बिल को लेकर शिक्षा संकुल में सभी को अपना पक्ष रखने के लिए बैठक बुलाई थी किंतु इस बिल के तहत जिसको राहत देने का नाम लिया गया उनको इस बिल पर अपना पक्ष रखने तक का अवसर राजस्थान सरकार और प्रशासन ने नही दिया। केवल निजी स्कूलों का पक्ष लेकर बनाए इस बिल की जानकारी जैसे अभिभावक संघों और छात्रों को मिली तो इसका विरोध शुरू हो गया, अब अभिभावकों और छात्रों को गुमराह करने के लिए सरकार की शह पर निजी स्कूलों ने इस बिल का विरोध शुरू कर दिया। जिससे अभिभावक गुमराह हो जाए और स्कूलों का विरोध दिखाकर इस बिल को रद्द कर दिया जाए।
शिक्षा को लेकर बनाए पुराने सभी कानून की पालना सुनिश्चित करवाने के बाद अभिभावकों की सहमति से नए कानून बनाए सरकार
प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा की एक तरफ राज्य सरकार प्रदेश में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के दावे करती है वही दूसरी तरफ नए-नए कानून बनाकर अभिभावकों और छात्रों पर थोप रही है, जबकि पूर्व में बेहतर शिक्षा व्यवस्था को लेकर बहुत सारे कानून पहले ही थोपे जा चुके है, जिनकी आजतक पालना भी सुनिश्चित नही करवाई गई है। जिन पर राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक के निर्णय भी आ चुके है उन तक की पालना सुनिश्चित नही हो रही है। केवल निजी स्कूलों के दबाव में आकर सरकार अभिभावकों और छात्रों के साथ खिलवाड़ करने की षडयंत्र रचकर गुमराह करने का काम कर रही है। राज्य सरकार नए-नए कानून बनाने के बजाय पहले पुराने कानूनों की पालना सुनिश्चित करवाए और नए कानून बनाने से पूर्व अभिभावकों का पक्ष भी जाने केवल अभिभावकों पर निजी स्कूलों के कानून थोपे नही।
अभिषेक जैन बिट्टू
प्रदेश प्रवक्ता & मिडिया प्रभारी
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