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राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव दो क्विंटल फूलों से खेली होली-“संस्कृति के रंग होली के संग” में देशभर के लोक नृत्य एक मंच पर

-बांस की धमक, लयकारी की चमक और होली के गानों से झूमा बीकानेर

बीकानेर। यहां डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में रविवार रात ‘संस्कृति के रंग होली के संग’ कार्यक्रम में होली के लोक गीत, भगवान जगन्नाथ की होली को साकार करते देशभर के नृत्यों ने होली की मस्ती से हजारों दर्शकों को झुमा दिया। दो क्विंटल फूलों से खेली गई होली ने रंग और आनंद के इस त्योहार की मस्ती को और बढ़ा दिया। इससे पूर्व इस कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र की लावणी ने मस्ती का आलम बनाया तो राजस्थान की गेर में होली के आनंद को दुगना कर दिया। इतना ही नहीं, भगवान की होली को भी स्टेज पर कलाकारों ने साकार कर दिया। इसमें भगवान भगवान जगन्नाथ को समर्पित गोटी पुआ नृत्य में स्त्री रूप धारी लड़कों के करतबों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, तो असम का लोक नृत्य बीहू, गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में होली के दौरान करीब एक हफ्ते तक चलने वाला राठवा डांस, हरियाणा के होली के फाग गीतों संग मस्ती भरे नृत्य तथा गुजरात का मणिहारो रास जैसी प्रस्तुतियों ने होली की मीठी शरारतों और व्यंग्यों को जीवंत कर दिया। इनके साथ ही राजस्थान के शोखावाटी अंचल का चंग नृत्य, बाड़मेर और जालोर की गेर, आंगी गेर, ब्रज की होली की प्रस्तुतियों से ऐसा लगा मानो होली आज ही है। इतना ही नहीं, राजस्थान का चरी नृत्य, पंजाब का भांगड़ा डांस भी होली के आनंद को कई गुना बढ़ा दिया।

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