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गर्भपात को जनसंख्या नियंत्रण का अप्रत्यक्ष में माध्यम बनाना निश्चय ही निंदनीय एवं हिंदू समाज के लिये सर्वनाशी कुकृत्य – तिवाड़ी

माननीय प्रधानमंत्रीजी भारत सरकार, दिल्ली

हमें गर्व है कि आपके कुशल नेतृत्व में राष्ट्र प्रगति के नवीन आयाम स्थापित कर रहा है. इसी क्रम में सनातन संस्कृति से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे आपके ध्यानार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु निवेदन है-

1.

जिस तरह 2500 रु क्विंटल वाले गेहूं को भारत सरकार पिछले 3

वर्षों से गरीब जनों को निःशुल्क 01रू. किलो से वितरित कर अनूठी सेवा कर रही है, उसी तरह से 1300/1500 रुपये क्विंटल वाला चारा भूसा बेजुबान गौमाता के लिये वितरण की व्यवस्था यदि सरकार करवा सके तो एक बहुत बड़ी सेवा होगी। गोचर, ओरण, तालाब आदि सब भू-माफियाओं ने और योजनाओं के

नाम पर राज्य सरकारों ने कब्जा लिए हैं। ऐसे में अबोल, असहाय गोवंश

और आवारा पशुओं के लिये कृपा कर योजना बनाएं।

इसी क्रम में आगे निवेदन है कि गौ हत्या रोकने हेतु कड़ा कानून बनाने की और गौमाता को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की महती जरूरत है। ऐसा होने पर भगवान की कृपा एवं संत महात्माओं का सीधा आशीर्वाद आपको मिलेगा।

2. लीक से हटकर राष्ट्रहित में कुछ नया व अच्छा करने की आपकी कार्यशैली रही है. इसी से प्रेरित होकर हमारी संस्था के पदाधिकारीगण हिंदुत्व एवं सनातन संस्कृति से जुड़े कुछ मुद्दों पर आपका ध्यान आकृष्ट कर रहे है- 1) हाल ही सुप्रीम कोर्ट ने सनातन संस्कृति को और सामाजिक मूल्यों

को नष्ट करने जैसे आदेश / निर्देश दिये है लिव इन रिलेशनशिप विवाहेत्तर

संबंधों को मान्यता आदि आदि निर्णय सुसंस्कृत समाज को पतन की ओर

धकेलने के प्रयास एवं हिंदू समाज की सनातन संस्कृति व परंपराओं में

अनावश्यक हस्तक्षेप है। (ii) इसी तरह बिना मेडिकल आधार के 20 सप्ताह 24 सप्ताह के जीवित गर्भस्थ शिशु की गर्भपात करने कराने की छूट सीधी सीधी हत्या है।

मान्यवर, प्रत्येक गर्भपात में जीवित प्राणी की नृशंसता से हत्या होती है अहिंसा के पुजारी भारत राष्ट्र में यह सभ्य समाज पर कलंक है, महापाप

है। गर्भपात को जनसंख्या नियंत्रण का अप्रत्यक्ष में माध्यम बनाना निश्चय ही निंदनीय एवं हिंदू समाज के लिये सर्वनाशी कुकृत्य हैं।

अतः आपसे करबद्ध प्रार्थना है कि राष्ट्रहित समाज हित में उक्त गलत कानूनों व प्रदत्त छूटों को संशोधन के साथ निरस्ती कार्यवाही और गौ-माता के संरक्षण हेतु उचित कानून-योजना बनाने की कृपा करें।

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