
मेरा वंश चलता रहे इस आस में औलाद पाने की खातिर इंसान क्या क्या नहीं करता। पीर पैगम्बर और अपने आराध्य को मनाने, डॉक्टर्स की सलाह, हर प्रकार के उपचार यहां तक की झाड़ फूंक जैसे रास्ते भी अपनाता है। जब औलाद पैदा होती है तो मां बाप की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। बेटे के जन्म से लेकर उसे उसके पैरों पर खड़ा करने तक की जिम्मेदारी निभाने में मां बाप अपने जीवन की सारी जमापूंजी लगा देते है। इस सबके पीछे उनके मन में सिर्फ एक आस होती है कि हमारे बुढ़ापे में हमारी औलाद हमारे लिए सहारा बनेगी। लेकिन इस कलयुग में औलादों के ऐसे ऐसे कारनामे सामने आ रहे हैं इंसानियत भी शर्मसार हो रही है।
ऐसा ही एक मामला स्थानीय पारीक चौक निवासी श्री लादूराम और उनकी पत्नी का सामने आया है। लादूराम ने अपने बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी अपने तीनों बेटो को उनके अलग अलग मकान तक बनाकर दिए हैं। लेकिन अपने उम्र के आखरी पड़ाव में यह दंपत्ति आज बिना छत के सड़क पर आंधी बारिश के बीच रहने को मजबूर है। अपनी दुःख भरी व्यथा सुनते हुए लादूराम जी ने बताया की उनकी सहधर्मिणी कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ रही है। वर्तमान में वे जिस मकान के बाहर सड़क पर रहने के लिए मजबूर हैं ये मकान उनकी नानी ने उन्हें वसीयत में दिया है लेकिन उनके बेटों ने उन्हें घर से बाहर निकलकर उसमे ताला लगा दिया है।
गौरतलब बात ये है की सक्षम न्यायालय द्वारा उनके हक में फैसला देते हुए उनके बेटों को 2500 – 2500 रुपए दोनो के खातों में भरण पोषण के लिए जमा करवाने के निर्देश भी दे रखे हैं, लेकिन इस वृद्ध दंपत्ति की कोई सुध नहीं ले रहा। गत दिनों बीकानेर में आए बारिश तूफान और ओलावृष्टि जैसे में भी ये दंपत्ति खुली सड़क पर ही रहने को मजबूर रहे।
सबसे बड़ी बात की श्री लादूराम ने अपने जवानी के दिनों में सामाजिक सरोकार में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है और सभी सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर चंदा भी दिया है। आपको यह भी बता दें कि श्री लादूराम ने बालाजी के पावन धाम पूनरासर में एक धर्मशाला की जमीन भी दान में दी हुई है।
ऐसे भामाशाह अपनी औलाद के कुकर्मों के कारण अपनी पत्नी सहित कड़ी धूप बारिश ओलो में बिना छत के सड़क पर रहने को मजबूर हैं। धिक्कार है ऐसी औलाद पर। अगर कलयुग में औलाद की यही करतूतें रही तो आने वाली पीढ़ी बे औलाद ही रहना पसंद करेगी।
✍️अजय त्यागी