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लंपी रोग का वास्तविक सर्वे करवाकर गौपालकों को मिले मुआवजा और गौशालाओं की तर्ज पर गौपालकों को मिले अनुदान

गौचर संरक्षण संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में आज गौपालकों और गौशालाओं की विभिन्न मांगो को लेकर एक प्रतिनिधि मंडल ने संभागीय आयुक्त से मिलकर चर्चा की और माननीय मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।प्रतिनिधि मंडल में मनोज कुमार (मनु बाबू) सेवग संयोजक गौ गौचर संरक्षण संयुक्त मोर्चा, सुरज प्रकाश राव सह संयोजक गौ गौचर संरक्षण संयुक्त मोर्चा ,कैलाश सोलंकी अध्यक्ष भीनासर गौचर भुमि,एड.विनोद आर्य आयोजक गाय-गांवस्वावलंबन यात्रा,गोस्वामी शिशपाल गिरि अध्यक्ष भारतीय जन स्वाभिमान मंच राजस्थान, मोहित राव आदि प्रबुद्ध लोग शामिल रहे।आयुक्त महोदय से अच्छी और यथार्थ चर्चा हुई।
विभिन्न मांगे-
विषयांतर्गत निवेदन हैं हमारे गौभक्तों की टीम ने गाय-गांवस्वावलंबन यात्रा के माध्यम से 90 दिनों में 318 गांवों में घुमकर सरकार का ध्यान लंपी महामारी से पीड़ित गौपालकों को मृत गायों का मुआवजा दिलवाने की ओर आकर्षित किया था।सरकार ने यात्रा की मांग मानते हुए लंपी से मृत गाय का 40000 रुपये प्रति गाय मुआवजा देने की घोषणा अपने बजट सत्र में कर दी।उस घोषणा के लिए सरकार और मुख्यमंत्री जी धन्यवाद के पात्र हैं।लेकिन विभाग ने जो सर्वे किया है वो आधा अधूरा है, इसलिए श्रीमान जी से निवेदन हैं की लंपी का वास्तविक सर्वे करवाने की ओर सरकार और पशुपालन विभाग का ध्यान करवाने की मेहरबानी करे।
गौशालाओं की विभिन्न मांगे

  1. गौशालाओं की अनुदान के लिए जारी दिशानिर्देश में बिंदु संख्या 19 को पूर्ण रूप से हटाया या उसका पुनः विचार किया जावें
    2 गायों को बचाने के लिए गौपालकों को संम्बलता देना जरूरी है, इसलिए गौशाला की तर्ज पर सीधा गौपालकों को अनुदान दिया जाए।
  2. गौशालाओं को वर्तमान 5 महीने का अनुदान एकमुश्त मिले और यह अनुदान अधिकतम 15 मई तक सभी गौशालाओं को मिल जाए ऐसी व्यवस्था की जाए।
  3. वर्तमान में सरकार ने गोपालन विभाग में पंजीकृत गौशालाओं को ट्यूबेल देने की बात कही है, उसके लिए ₹75 करोड तय किए गए हैं, जो कि गौशालाओं की वस्तु स्थिति के अनुसार सही नहीं है, क्योंकि कहीं पर ट्यूबवेल 100 फुट पर है वह कहीं पर 1000 फुट पर, इसलिए गौशालाओं के द्वारा खोदे जाने वाले ट्यूबल की दर भी अलग-अलग रहेगी, अतः इस विषय पर पुनः अनुसंधान करके गौशालाओं में पानी का कनेक्शन अथवा ट्यूबेल की व्यवस्था की जाए। अथवा phd से गोशालाओ को कनेक्शन दिलवाया जाएं
  4. वर्तमान में गोपालन निदेशालय के द्वारा जो भी आदेश निकलता है, उस आदेश के अनुरूप सभी जिलों के संयुक्त निदेशक अपने अपने हिसाब से उस आदेश के आधार पर जिले के आदेश निकालते हैं जो कि अलग-अलग तरह के होते हैं उसमें एकरूपता लाई जावे।
  5. गोपालन विभाग समय-समय पर गौशालाओं के लिए दिशानिर्देश जारी करता है उन दिशानिर्देशों को बीच में ही संशोधित करके फिर नया दिशा निर्देश जारी किया जाता है, इससे गौशालाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है अतः किसी एक अनुदान के लिए जारी दिशानिर्देश उस अनुदान पर पूर्णत लागू रहे, अगले अनुदान में यदि कुछ फेरबदल करना है तो किया जाए।
  6. 2016 से आज तक गोपालन विभाग निश्चित दिशा निर्देश भी जारी नहीं कर पाया इसके लिए राज्य स्तरीय गोपालन समिति एक बार मुख्य निर्णय लेकर सही दिशा निर्देश बनाकर जारी करें, ताकि उसी के अनुसार गौशालाओं को अनुदान मिलता रहे।
  7. राज्य स्तरीय गोपालन समिति में मात्र अधिकारी वर्ग है, जनप्रतिनिधि अथवा गौशालाओं का प्रतिनिधि वहां पर नहीं है अतः सरकार राज्य स्तरीय गोपालन समिति में जनप्रतिनिधि और गौशालाओं के संगठनों के प्रतिनिधियों को स्थान प्रदान करें ताकि गौशालाओं की बात राज्य स्तरीय गोपालन समिति के समक्ष रखी जा सके और निर्णय में भी सकारात्मकता रहे।
    9.गौशालाओं के द्वारा ऑनलाइन आवेदन करने पर जो त्रुटि सुधार का समय दिया जाता है, उसमें एक बार सुधार करने के समय में बदलाव कर कम से कम 3 बार त्रुटि सुधार का समय दिया जावे, क्योंकि गौशालाऐं ग्रामीण क्षेत्र में है, वहां पर ई-मित्र वाले भी इस विषय को लेकर प्रशिक्षित नहीं है कहीं ना कहीं गलती रहने की संभावना बनी रहती है, इसलिए त्रुटि सुधार का समय कम से कम 3 बार किया जाए।
  8. वर्तमान में गौशालाओं के अंदर एमपी, एमएलए का कोटा जो लगता है उस कोटे में ट्यूबेल, चारदीवारी, एंबुलेंस, चारा गोदाम, शैड आदि के लिए पीएचईडी, जिला परिषद आदि के विभाग नए-नए नियम लगाते हैं, उसके लिए एकरूपता बनाकर गौशालाओं को राहत प्रदान की जावे। गौशालाओं के लिए मिलने वाले एमपी, एमएलए फंड को सरलता से गौशाला में लगाया जा सके ऐसे नियम बनाकर सरकार अति शीघ्र गौशालाओं के हितार्थ कार्य करें।
  9. गौशालाओं को गोवंश की गणना के आधार पर अनुदान वितरित किया जाए, क्योंकि वर्तमान में गोवंश की गणना के आधार पर ही गौशालाओं की राशि निर्धारित की गई है, उसे भुगतान के लिए भी बिना बिल बाउचर के सीधा गोवंश की गणना के अनुसार अनुदान दिया जावे।
    उपरोक्त विषयांतर्गत आपसे संगठन निवेदन करता है की हमारी मांगो पर विचार किया जाए।
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