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मुमुक्षु सुषमा कवाड़ का अभिनंदन-अन्न व धन का दान पात्र को करें-साध्वी प्रियरंजनाश्रीजी…


बीकानेर, 20 अप्रेल। रांगड़ी चैक के ंसुगनजी महाराज के उपासरे में गुरुवार को साध्वी प्रियरंजनाश्रीजी के सान्निध्य में सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट व श्रीसंघ की ओर से तिरपातुर की मुमुक्षु सुश्री सुषमा कवाड़ का अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम में खरतरगच्छ महिला परिषद, विचक्षण महिला मंडल, सामयिक मंडल, वरिष्ठ गायक सुनील पारख ने भक्ति व सयम के भाव गीतों से तथा श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, वरिष्ठ श्रावक राजेन्द्र लूणियां, हस्तीमल सेठी, भीखमचंद बरड़िया व महेन्द्र बरड़िया ने मुमुक्षु व उनके साथ आए संघ का बहूमान किया।
साध्वी प्रियरंजनाश्रीजी ने प्रवचन में कहा कि मुमुक्षु सुषमा कवाड़ व उनके साथ आए सपरिवार दीक्षा के इच्छुक ललित भाई कवाड़ की भगवान महावीर के शासन में पांच महाव्रत धारण करने की धारणा व विचार जिनशासन में अनुकरणीय, अतुलनीय है। भगवान महावीर के शासन में समर्पण करने वालों की जितनी अनुमोदना की जाए वह कम है। मुमुक्षु की दीक्षा की अनुमोदना करना, उनके सफल संयममय जीवन की कामना करने से पुण्यों की प्राप्ति होती है।
अन्नदान महादान
साध्वीश्री ने नियमित प्रवचन में कहा कि भूखे को भोजन करवाने, उसको अन्नदान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। वर्तमान में लोग पाश्चात्य प्रभाव से जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ आदि समारोह में अन्न व धन का अपव्यय करते है। वे किसी गरीब, भूखे को भोजन नहीं करवाकर, अन्न व रोटी मांगने वाले को दुत्कार कर पाप का कर्म बंधन बांधते है। आने वाली पीढ़ी के पाश्चात्य प्रभाव के कारण अपव्यय की आदत को नहीं छोडने पर आने वाले कल में आंखों में आंसु व हाथ मलने के सिवाय कुछ भी नहीं रहेगा। हमें बाल व युवा पीढ़ी को संस्कारित व शिक्षित कर पाश्चात्य प्रभाव से अन्न-धन के अपव्यय की आदत को बदलने व उन पर नियंत्रण का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यक्ति जन्म से लेकर अंतिम समय तक लेने की ही इच्छा व कामना करता है, देने की प्रवृति कम रखता है। जो सच्चे दिल व मन से जरुरतमंद को देता है, भगवान उसको छप्पर फाड़कर देता है। हमें जो भी मिला है वह परमात्मा की असीम कृृपा से मिला है। परमात्मा ने संदेश दिया कि अहंकार का त्याग कर जीव देना सीखो।

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