
पीलिया रोग,बचाव निदान व उपचार
पिछले 1महीने से बच्चों में पीलिया रोग बीकानेर संभाग में बहुतायत में देखने को मिल रहा है। पीलिया रोग वायरल जनित बीमारी है जिसमें हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई प्रमुख है जो दूषित पानी के द्वारा फैलता है ।इस बीमारी में बच्चे को भूख लगना कम हो जाता है बार-बार उल्टियां होती है तेज बुखार आता है पेट में दर्द होता है और बच्चा खाना पीना छोड़ देता है इस तरह के लक्षण अगर दिखते हैं तो अभिभावकों को प्राथमिकता के साथ चिकित्सक के संपर्क में आना चाहिए क्योंकि पीलिया बिगड़ने पर यह जानलेवा भी हो सकता है ।पीलिया के दौरान अगर बच्चे को बहुत ज्यादा सुस्ती है, बच्चा सोता रहता है ज्यादा बहकी बातें करता है तो यह पीलिया दिमाग में चढ़ने का लक्षण है या फिर शरीर के किसी भी भाग से रक्तस्राव होने लग जाए खतरनाक पीले की श्रेणी में आता है
तो डाक्टर की सलाह से तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया जाना चाहिए।
पीलिया रोग के द्वारा हल्का खाना ताजा खाना और सबसे खाना जरूरी है। बीमारी के दौरान तेल की तली हुई चीजें नहीं खानी चाहिए, स्ट्रीट फूड का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए ।
जूस व अन्य तरल पदार्थ फल छाछ पनीर का प्रयोग करना चाहिए
रोग से बचाव हेतु पानी को उबाल के पीना चाहिए और खाना बनाते समय में स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए ।
समयवद्द तरीके से 1 साल के बाद का टीकाकरण करवाना चाहिए जिससे पीलिया रोग होने की समस्या नगण्य रहती है और अगर होता भी है तो बहुत ही सामान्य होकर रह जाता है। उपचार के दौरान अंधविश्वास झाड़ फूंक पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
पीलिया रोग कई बार हेपेटाइटिस बी ,सी ,डी वायरस से भी बनता है। ये सब वायरस संक्रमित सिरिंज सुई व रक्त चढ़ाने से होती है। यह पीलिया लीवर को गंभीर क्षति पहुंचाता है। हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए जन्म के समय, और बाद में तीन बूस्टर डोज लगनी चाहिए। और व्यस्क में तीन डोज लगाकर बचाव किया जा सकता है ।यह लीवर के कैंसर से भी बचाता है। अगर संक्रमण हो ही जाए तो डॉक्टर की सलाह अनुसार संपूर्ण इलाज करवाए।
