
बीकानेर, 14 अगस्त। जैनाचार्य श्रीपूज्य जिनचन्द्र सूरिश्वर ने सोमवार को रांगड़ी चौक के बड़े उपासरे में प्रवचन में कहा महान पर्युषण पर्व में कषायों व पापों से बचते हुए संयम, समता, सत्य साधना के साथ परमात्म भक्ति करें। शांत व भीतर के आत्मानंद का अनुभव करते हुए आत्म व परमात्म प्राप्ति के असली लक्ष्य की ओर बढ़ें। पर्व के दौरान राग-द्वेष व आर्त, रुद्र ध्यान से हटते हुए समता में रहकर सामयिक साधना करें।
उन्होंने कहा कि पर्युषण पर्व के दौरान दर्पण की तरह जीते हुए किसी संसारिक भोग विलास की वस्तुओं, कषायों को अपने अंतर मन में चिपकाएं व लुढ़ाएं नहीं। जिन्दगी में एक के बाद एक कठिनाइयां व विपरीत परिस्थितियां आती रहती है, इन परिस्थितियों में समता भाव रखते हुए दृढ़ संकल्प के साथ साधना के साध्य व लक्ष्य को प्राप्त करें।
यति अमृत सुन्दर ने एक कहानी के माध्यम से बताया कि सामयिक व पौषध सहित विभिन्न साधनाओं में संकल्प मजबूत होना चाहिए। यति सुमति सुन्दर ने ’’ गुरु भज, गुरु भज, गुरु भज्या शिवधन पासी’’ सुनाते हुए कहा कि देव, गुरु व धर्म के प्रति आस्था व विश्वास रखते हुए भीतर के दोषे को दूर करने का प्रयास करें। यतिनि समकित प्रभा ने शेर ’’ ना संघर्ष, ना तकलीफ, क्या मजा है फिर जीने में। तुफान भी थम जाएगा, जब लक्ष्य होगा सीने में’’ सुनाते हुए कहा कि मन,वचन व काया पर नियंत्रण करते हुए हुए आत्मा स्थित रहकर सामयिक करते हुए परमात्म मार्ग पर बढें। पीन्टू स्वामी व सिद्धार्थ डागा ने गुरुभक्ति के भजन प्रस्तुत किए। श्रावक कन्हैयालाल भुगड़ी की 15 दिन की तपस्या की अनुमोदना की गई।
बड़ा उपासरा ट्रस्ट के एस.के.डागा ने बताया कि पर्युषण पर्व के तीसरे दिन जैन धर्म के प्रतिष्ठित आगम ’’कल्पसूत्र’ का वाचन विवेचन शुरू किया जाएगा जो 20 अगस्त तक चलेगा। भगवान महावीर के जन्म कल्याणक का वाचन 17 अगस्त को किया जाएगा। सत्य साधना शिविर के तीसरे दिन सोमवार को साधकों ने स्थानीय जिनालय, नाल दादाबाड़ी में दर्शन किए तथा मौन रहते हुए साधना की।