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नरसिंह रूप मैं हिरण्यकश्यप का किया वध,भक्त प्रहलाद के भक्ति की हुई श्रीमद्भागवत गीता में चर्चा



हिर्नाकश्यप एवं नरसिंह रूप की भी सचेतक झांकी इस कथा में देखने को मिली,10 वर्षीय वैदिक ने प्रहलाद कीभूमिका निभाई




श्रीमद्भागवत गीता महाज्ञान यज्ञ के आज चौथे दिन श्रीराम मंदिर में चल रही कथा के दौरान व्यास पीठ पर विराजमान पंडित गोविंद जी व्यास ने भगवान नरसिंह एवं भक्त पहलाद के विषय में बताया। इसी विषय के आधार पर इस कथा के दौरान वाकायदा प्रह्लाद ने नारायण जाप करते हुए भगवान को ही सर्वोपरि माना और वह अपने पिता हिरण्यकश्यप को भी ज्ञान देते रहे लेकिन अपने बेटे भक्त पहलाद की बात हिरण्यकश्यप ने नहीं मानी और हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे भक्त प्रहलाद को मरवाने तक की ठान ली। जब भरी सभा में हिरण्यकश्यप ने भक्त पहलाद से कहा कि अब तो मैं तुझे मार के ही दम लूंगा, तुझे मार दूंगा, बता कहां है तेरा भगवान, अब देखता हूं तुम्हें कौन बचाता है और इसी संदर्भ में भक्त पहलाद श्रीमन्नारायण का जाप करते रहते हैं और भक्त प्रल्हाद कहते हैं कि भगवान हर जगह है, कण-कण में भगवान है, पहलाद कहते हैं कि “भगवान इस खंभे में भी है” इतना कहते ही भगवान विष्णु नरसिंह रूप में खंबे सेविकराल क्रोध से परिपूर्ण अवतरित होकर हिरण्यकश्यप का वध करते हैं। यहां इस कथा में यही दर्शाया है कि धर्म की हमेशा जय होती है और अधर्म हमेशा पराजित होता है समय जरूर लग सकता है लेकिन धर्म का नाश ही होता है और साथ ही साथ यह भी दर्शाया है कि भगवान कब किस रूप में आ जाए कोई पता नहीं। इस प्रकार से पूरी झांकी को कथा में दर्शाया गया, हिरण्यकश्यप का वध हुआ धर्म की जय हुई। प्रहलाद बना वैदिक सहदेव काफी लंबे समय तक भगवान का जाप करता रहा और इस प्रकार से लगातार 3 घंटे तक यह कार्यक्रम चला।कथा श्री कृष्ण सुदामा गौशाला एवं अन्य भक्तों के तत्वावधान में लगातार श्री राम मंदिर में चल रही है। श्री कृष्ण सुदामा गौशाला के पूनम चंद गैरा, चांद रतन खत्री मूलचंद खत्री समाजसेवी नरेंद्र कुमार देवड़ा सहित सभी ने कथा के इस एपिसोड पर भगवान नरसिंह और भक्त प्रहलाद की विशेष पूजा अर्चना की।

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