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G20 की मेजबानी आजादी के शताब्दी वर्ष में तक विकसित राष्ट्र का लक्ष्य
9 और 10 सितंबर को भारत मेंG20 की बैठक

नई दिल्ली 9 और 10 सितंबर को भारत में जी-20 की बैठक होने जा रही है. इस सम्‍मेलन की मेजबानी इस साल भारत कर रहा है. भारत के लिए ये बहुत बड़ा मौका है.G-20 की 18वीं समिट इस साल 9 और 10 सितंबर को होने जा रही है. इस साल भारत पहली बार G-20 की मेजबानी करने जा रहा है. इसके लिए काफी जोर-शोर से तैयारियां पिछले कई महीनो से की जा रही हैं. दिल्‍ली को सजाया गया है ग्लोबल इकोनॉमी में करीब 80 फीसदी से ज्यादा का प्रतिनिधित्व करने वाले जी-20 की अध्यक्षता करना भारत के लिए एक बड़ा मौका है.।

1997 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद जी20 की शुरुआत की गई थी. इस बैठक में पहले आर्थिक मुद्दों पर चर्चा होती थी, लेकिन बाद में और भी कई मुद्दों को शामिल किया गया.

बाली शिखर सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी को जी20 की अध्यक्षता के लिए हथोड़ा सौंपा गया था. उस समय पीएम मोदी ने कहा था, ‘कोविड के बाद के दौर में नई व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है. मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि जी20 की भारत की अध्यक्षता समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और सक्रियता भरी होगी. एकसाथ मिलकर हम जी20 को वैश्विक परिवर्तन का उत्प्रेरक बनाएंगे.’ अध्यक्षता सौंपे जाने के बाद से ही भारत तुरंत इसकी तैयारियों में लग गया.

जी20 यानी ग्रुप ऑफ ट्वेंटी, ये 20 देशों का एक समूह है. ये 20 देश साल में एक बार एक सम्मेलन के लिए इकट्ठा होते हैं और दुनियाभर के आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, भ्रष्टाचार-विरोध और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर चर्चा करते हैं. जो देश इस सम्मेलन की अध्यक्षता करता है, उसका प्रमुख काम किसी विषय विशेष के प्रति सभी देशों के बीच आम सहमति बनाना होता है.

जी20 में 19 देश- भारत, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं. हर साल अध्यक्ष देश कुछ देशों और संगठनों को मेहमान के तौर पर भी आमंत्रित करता है.।

जी20 के सदस्य देश, दुनिया की 60% आबादी की नुमाइंदगी करते हैं. इन देशों का पूरी दुनिया की GDP में 85% और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 75% हिस्सेदारी है.।

भारत को आजाद हुए 76 साल हो चुके हैं. इस दौरान देश ने कई उपलब्धियां हासिल की है. हम आज कई क्षेत्रों में टॉप-5 में हैं, कई में टॉप-3 तो कुछ जगहों पर टॉप पर हैं. इसके बावजूद भारत को विकासशील देशों में गिना जाता है. इसलिए जी20 एक ऐसा फोरम हैं जहां भारत अपनी श्रेष्ठता को और बेहतर ढंग से बता सकता है.

पीएम मोदी का भी लक्ष्य है कि जब देश आजादी के 100 साल मना रहा होगा, तब 2047 में भारत एक विकसित राष्ट्र होगा. दुनिया को बताने की जरूरत है कि भारत दुनिया का वैश्विक नेता बनने के लिए पूरी तरह तैयार है. भारत ने समय-समय पर दिखाया है कि विकसित देश उन्नत संसाधनों के बावजूद वो मुकाम हासिल नहीं कर पाते, जो भारत अपने सीमित संसाधनों के साथ कर लेता है.

कोविड जैसी महामारी में 140 करोड़ देशवासियों की रक्षा करना या फिर चंद्रयान-3 हर मामले में भारत औरों से बेहतर है. दुनिया के बाकी देश भी अगर भारत के साथ मिलकर काम करेंगे तो मानव समाज की उन्नति और पृथ्वी संरक्षण के प्रयास में तेजी लाई जा सकती है. जी20 में भी भारत का उद्देश्य यही है. भारत का G20 अध्‍यक्षता थीम भी- ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ या ‘एक पृथ्वी, एक कुटुंब, एक भविष्य’ है.

आज पूरी दुनिया में भारत के नाम का डंका बज रहा है. सिर्फ भारत को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को भी भारत की जरूरत है. ऐसे में दुनियाभर में भारत की बढ़ती हैसियत की घरेलू माहौल में पुष्टि करना भी एक बड़ी जिम्मेदारी है.

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