
नई दिल्ली, 9 सितम्बर। जी20 लीडर्स घोषणा पत्र पर सभी देशों की सहमति बन गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुद इसकी जानकारी दी. पीएम मोदी ने बताया, “हमारे टीम के हार्ड वर्क से और आप सभी के सहयोग से नई दिल्ली जी20 लीडर्स घोषणा पत्र पर आम सहमति बनी है.” उन्होंने कहा, “मेरा प्रस्ताव है कि इस लीडर्स डिक्लेरेशन को भी एडॉप्ट किया जाए. मैं इस डिक्लेरेशन को एडॉप्ट करने की घोषणा करता हूं.”
उन्होंने कहा, “इस अवसर पर मैं हमारे मंत्रीगण, शेरपा और सभी अधिकारियों का हृदय से अभिनंदन करता हूं. जिन्होंने अथाह परिश्रम करके इसे सार्थक किया है.” उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, “नई दिल्ली लीडर्स डिक्लरेशन की मंजूरी के साथ ही इतिहास रचा गया है. सर्वसम्मति और मनोभाव के साथ हम एकजुट हो कर बेहतर, अधिक समृद्ध और समन्वय भविष्य के लिए सहयोग के साथ काम करने का संकल्प लेते हैं. जी20 के सभी साथी सदस्यों को उनके समर्थन और सहयोग के लिए मेरा आभार.”
नई दिल्ली घोषणा पत्र में किन चीज़ों का ज़िक्र है इस पर जी20 के भारतीय शेरपा अमिताभ कांत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किया. उन्होंने बताया कि नई दिल्ली घोषणा पत्र किन चीज़ों पर केंद्रित है.
- मजबूत, दीर्घकालीक, संतुलित और समावेशी विकास
- सतत विकास लक्ष्यों पर आगे बढ़ने में तेज़ी
- दीर्घकालीक भविष्य के लिए हरित विकास समझौता
- 21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थाएं
- बहुपक्षवाद को पुर्नजीवित करना
विदेश मंत्री, वित्त मंत्री ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री के इस घोषणा के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि विश्व बैंक की वित्तपोषण क्षमता को बढ़ाने की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने पर समझौता हुआ है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) को मजबूत करने पर जी-20 स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह की स्थापना की गई थी जिसने अपनी रिपोर्ट पेश की है.” उन्होंने बताया, “उनकी रिपोर्ट के दो भाग हैं. पहला भाग पहले ही पेश किया जा चुका है. रिपोर्ट एक ट्रिपल एजेंडे की सिफारिश करती है जो बेहतर, बड़े और अधिक प्रभावी एमडीबी के आह्वान के साथ मेल खाता है. एमडीबी को मजबूत करने का तीसरा बिंदु विश्व बैंक की वित्तपोषण क्षमता को बढ़ाने की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने पर समझौता है.”
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त घोषणा पत्र मजबूत, संतुलित और समावेशी विकास पर केंद्रित है. इस दौरान उन्होंने बताया, “जी-20 नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की और माना कि यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर ख़तरों में से एक है.”
घोषणा पत्र में यूक्रेन पर क्या कहा गया?
नई दिल्ली जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की घोषणा में यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बारे में बाली में हुई चर्चा को दोहराया गया है. नई दिल्ली घोषणा पत्र में कहा गया, “यूक्रेन में युद्ध के संबंध में बाली में हुई चर्चा को दोहराते हुए हमने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रस्तावों पर अपने राष्ट्रीय रुख को दोहराया और इस बात पर ज़ोर दिया कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करना चाहिए.”
“संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मुताबिक़, सभी देशों को किसी भी अन्य देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के ख़िलाफ़ क्षेत्रीय अधिग्रहण की धमकी या बल के उपयोग से बचना चाहिए. परमाणु हथियारों का उपयोग या उपयोग की धमकी अस्वीकार्य है.”
जी20 शिखर सम्मेलन में क्या क्या हुआ?
09 सितंबर को जब जी20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत हुई तो सुबह साढ़े दस से दोपहर डेढ़ बजे तक पहला सत्र ‘वन अर्थ’ पर आयोजित किया गया. वहीं ‘वन फैमिली’ पर दूसरा सत्र दोपहर 3 बजे से 4.45 बजे तक चला. अब शाम 7 बजे डिनर पर सभी राष्ट्राध्यक्ष मुलाक़ात करेंगे. जहां इनके बीच रात 8 बजे से 9.15 बजे तक बातचीत होगी.
रविवार यानी जी20 सम्मेलन के आखिरी दिन ‘वन फ़्यूचर’ पर तीसरा सत्र सुबह 10 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक आयोजित किया जाएगा. इस सत्र के बाद जी20 शिखर सम्मेलन समाप्त हो जाएगा.
जी20 सम्मेलन के इतर भारत कई देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी कर रहा है.
- 08 सितंबर यानी शुक्रवार को अमेरिका, बांग्लादेश और मॉरीशस के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई.
- 09 सितंबर यानी शनिवार को ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, इटली से द्विपक्षीय वार्ता हो रही है.
- वहीं 10 सितंबर यानी रविवार को कनाडा, तुर्किए, यूएई और दक्षिण कोरिया से द्विपक्षीय वार्ता होगी.
- वहीं इस सम्मेलन में शामिल हो रहे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान सोमवार यानी 11 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे.
पीएम मोदी के सामने लगे बोर्ड पर ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’
इससे पहले नई दिल्ली में आयोजित किए जा रहे जी-20 देशों के सम्मेलन के पहले दिन शनिवार को जब पीएम मोदी अपना उद्घाटन भाषण दे रहे थे तो कई लोगों का ध्यान उनकी मेज़ पर रखे बोर्ड पर जा रहा था.
उनके सामने रखे बोर्ड पर ‘भारत’ लिखा था. अतीत में ऐसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने ‘इंडिया’ लिखा हुआ देखा जाता रहा है.
वहीं, बीते साल 15 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली में जी-20 देशों का जो सम्मेलन हुआ था उसमें पीएम मोदी के सामने रखे बोर्ड पर ‘इंडिया’ लिखा था.
बीते दिनों जी-20 सम्मेलन से जुड़े कार्यक्रम के लिए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के निमंत्रण पत्र में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ लिखा होने को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया था.
शुक्रवार को ही संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि अगर भारत उसके पास औपचारिक मांग भेजता है और सभी औपचारिकताएं पूरी कर देता है तो वह संयुक्त राष्ट्र के रिकॉर्ड में ‘इंडिया’ का नाम ‘भारत’ कर देगा.
कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने कहा कि मोदी सरकार देश का नाम ‘इंडिया’ से बदल कर ‘भारत’ करना चाहती है.
उनका कहना था कि विपक्षी गठबंधन ने अपना नाम ‘इंडिया’ रखा है जिस वजह से बीजेपी सरकार जानबूझ कर अब ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ नाम का इस्तेमाल कर रही है.
मीडिया रिपोर्टों में दावा भी किया जा रहा है कि 18 सितंबर से शुरू हो रहे संसद के आगामी विशेष सत्र में इंडिया का नाम बदलकर भारत करने का प्रस्ताव भी लाया जा सकता है. हालांकि इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. इस बहस में बीजेपी के नेता तर्क देते रहे हैं कि इंडिया की जगह भारत ही नाम होना चाहिए वहीं विपक्ष के नेताओं का कहना है कि भारत के संविधान में पहले से ही भारत नाम भी दर्ज है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपने मंत्रियों से कहा था कि वो ‘भारत’ नाम पर राजनीतिक विवाद से बचने की सलाह दी थी और कहा था कि देश का प्राचीन नाम ‘भारत’ ही रहा है.
संविधान के हिंदी संस्करण में इंडिया की जगह हर जगह भारत ही लिखा है, सिर्फ़ उन उल्लेखों को छोड़कर जहां देश के नाम का ज़िक्र है. संविधान में देश का नाम है, “भारत डैट इज़ इंडिया यानी ‘भारत जो इंडिया है’.” देश का नाम बदलकर सिर्फ़ भारत करने के लिए संवैधानिक संशोधन ज़रूरी होगा जो सदन में सिर्फ़ तो-तिहाई बहुमत से ही पारित किया जा सकता है.