Bikaner Live

पर्युषण महापर्व का चतुर्थ दिवस वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया गया

पर्युषण महापर्व का चतुर्थ दिवस वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया गया

15 सितंबर 2023, शुक्रवार

तेरापंथ भवन, गंगाशहर। पर्युषण महापर्व का चतुर्थ दिवस आज वाणी संयम दिवस के रूप में मनाया गया। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा की ओर से तेरापंथ भवन गंगाशहर में आयोजित धर्मसभा में मुनि श्री श्रेयांश कुमार जी ने गीतिका के माध्यम से वाणी संयम की महत्ता बताई। मुनिश्री विमल बिहारी जी ने कहा कि वह व्यक्ति ही सफल बनता है, जो अपनी वाणी को संयमित रखता है। सेवाकेंद्र व्यवस्थापिका शासनश्री साध्वी श्री शशिरेखा जी ने जैन धर्म की काल गणना की व्याख्या करते हुए उत्सर्पिणी व अवसर्पिणी काल के बारे में सविस्तार जानकारी दी। साध्वीश्री ललितकला जी ने कहा कि हार आवाज नहीं करता है, उसे गले में धारण करते हैं। जबकि पायल आवाज करती है तो उसे पैरों में पहना जाता है। इसीलिए मितभाषी का स्थान ऊपर होता है। साध्वीश्री शीतलयशा जी ने संयमपूर्वक बोलने पर बल देते हुए कहा कि जो व्यक्ति कम बोलता है, मीठा बोलता है, वह जनप्रिय बनता है। सारे व्रतों में मौनव्रत प्रमुख है। मौन भीतर का प्रवेश द्वार है। भगवान महावीर ने मौन को भी तप की संज्ञा दी है। साध्वीश्री मृदुलाकुमारी जी ने तीर्थंकर समवशरण संरचना कर तीर्थ की स्थापना के बारे में बताया। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमरचंद सोनी ने कहा कि भगवान ने चार तीर्थ की स्थापना की है- साधु,साध्वी, श्रावक व श्राविका। हम सौभाग्यशाली हैं कि यहां चारों तीर्थ है। उन्होंने तेरापंथी सभा की ओर से चारित्रात्माओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने तेरापंथी सभा द्वारा चलाए जाने वाले उपक्रमों यथा ज्ञानशाला, तेरापंथ समाज निर्देशिका, मुंबई चौका सेवा, संघीय कार्यक्रमों का आयोजन, चिकित्सा सेवा आदि की जानकारी देते हुए सभी को अधिक से अधिक संत दर्शन के लिए प्रेरित किया।

✍प्रकाश सामसुखा

खबर

Related Post

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: