सामूहिक सामायिक एवं गुरु इकतीसा का पाठ
बीकानेर,13 जुलाई। गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिन मणि प्रभ सूरीश्वरजी महाराज की आज्ञानुवर्ती गणिवर्य श्री मेहुल प्रभ सागर म.सा., मंथन प्रभ सागर, बाल मुनि मीत प्रभ सागर, बीकानेर की साध्वी दीपमाला श्रीजी व शंखनिधि के सान्निध्य में रविवार को संबोधि बालक-बालिका शिविर आयोजित किया गया। ढढ्ढा कोटड़ी की क्षमा कल्याण वाटिका में हुए शिविर में लगभग 90 बालक-बालिकाओं ने हिस्सा लिया।
सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट व अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई के संयुक्त तत्वावधान आयोजित चातुर्मास के तहत हुए बालक-बालिका शिविर का संयोजन अखिल भारतीय खरतरगच्छ महिला परिषद की बीकानेर इकाई ने किया। परिषद अध्यक्ष मनीषा खजांची व मंत्री लीला बैगानी ने बताया कि गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर महाराज, मुनि व साध्वीवृंद ने बालक-बालिकाओं को तत्व ज्ञान, खमासणा विधि, 14 लोक तथा अपनी दिनचर्या को सही बनाने के बारे में बताया। धर्म, संस्कार और अनुशासन की शिक्षा दी। खेल, ज्ञानवर्धक गतिविधियां और प्रेरणादायक सत्र में ध्यान, भक्ति, गीत, श्लोक व जैन धर्म व संस्कृति के ज्ञान की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई।
समता-आत्मा की साधना-सामायिक गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर
गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने प्रवचन में कहा कि सामायिक मतलब समता की साधना, आत्मा की आराधना। पापकारी प्रवृति का त्याग कर संयम की साधना ही सामयिक है। नवकार महामत्र का ध्यान करें और अपने कर्मों की निर्जरा करें। उन्होंने कहा कि सामायिक में मन, वचन व काया को स्थित रखते हुए कायोत्सर्ग करना, आत्म परमात्मा का चिंतन करना, आलस्य व प्रमाद का त्याग करना होता है। मोक्ष को प्राप्त करने वाले तथा प्राप्ति के आतुर सभी को सामायिक की साधना जरूरी है। समता की साधना बिना किसी को मोक्ष नहीं मिलता। अपने अंतर के राग-द्वेष को मिटाने के लिए भगवान महावीर स्वामी ने समता की साधना का मार्ग बताया है। संसार में अनेक धर्म है, लेकिन समता की साधना, अहिंसा परमो धर्म का संदेश केवल जैन धर्म ने ही दिया है। सामायिक से से शांति मिलती है।




