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सिक्के के दो पहलू की तरह प्रतियोगिता में भी जीत-हार दो पहलू होते हैं। हार सीखने का पर्याय है।
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जब व्यक्ति प्रतियोगिता में हार जाता है तो वह बहुत कुछ सीखता है और प्रयास करता है। फलतः उसे जीत हासिल होती है। अतः प्रतियोगिता में हारे हुए खिलाड़ी अधिक प्रयास करेंगे तो न केवल बेहतर परिणाम प्राप्त करेंगे बल्कि सीखेंगे भी। सीख जीवन में सफलता का आधार बनेगी। ये विचार बुधवार को कस्बे के ताल मैदान स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में 66 वीं जिला स्तरीय सॉफ्ट बॉल खेलकूद प्रतियोगिता के समापन समारोह में बीकानेर समग्र शिक्षा के अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक गजानंद सेवग ने रखे।
सरस्वती के पूजन-अर्चन से शुरू समारोह में मंच संयोजक डॉ राधाकिशन सोनी ने बताया कि 17 एवं 19 वर्षीय छात्र वर्ग प्रतियोगिता में क्रमशः सांवतसर की कल्पना चावला एवं बीकानेर की मेजर थॉमस विद्यालय विजेता, कुदसू का पिंक मॉडल स्कूल एवं श्री डूंगरगढ़ का रूपादेवी विद्यालय उपविजेता तथा बीकानेर का मेजर थॉमस विद्यालय एवं कुदसू का राउमा विद्यालय तृतीय स्थान पर रहे। दोनों प्रतियोगिताओं में कुल 20 टीमों ने भाग लिया। विजेता, उप विजेता एवं तृतीय स्थान पर रहने वाली टीमों के दल प्रभारियों, कप्तानों एवं खिलाड़ियों को शील्ड एवं मेमेंटो देकर मंचस्थ एसीबीई ईश्वरराम, समाजसेवी ओम प्रकाश भुंवाल, नायब तहसीलदार रतनलाल आदि ने सम्मानित किया। प्रतियोगिता के आयोजन एवं संचालन में सहयोग के लिए व्याख्याता संदीप डूडी, राजवीर सिंह, दीपक चौधरी, भंवरलाल स्वामी, एन एस एस प्रभारी प्रदीप कुमार कौशिक, शिक्षक रामलाल नाथ, मनोज कुमार सारस्वत, भंवर लाल, राधेश्याम रैगर, रमेश बिट्ठु, शाशि श्रीमती कुसुम तथा शाला एन एस एस इकाई के स्वयंसेवकों को प्रतीक तथा निर्णायकों को ट्रेक सूट एवं मेमेंटो देकर सम्मानित किया। प्राचार्य आदूराम जाखड़ ने अतिथियों का स्वागत-सम्मान तथा सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

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Gordhan Soni

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