संवादाता धर्मचंद सारस्वत
ग्राम खारड़ा के हरिराम जी मंदिर में चल रही श्रीराम कथा के चौथे दिन राम के जन्म होते ही पंडाल में प्रभु श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। कथावाचक हरिदास जी महाराज ने कहा कि भगवान का जन्म असुरों और पापियों का नाश करने के लिए हुआ था। भगवान राम ने बाल्यावस्था से ही असुरों का नाश किया। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जीवन चरित्र अनंत सदियों तक चलता रहेगा। राम कथा में पिता के प्रति मां के प्रति और भाई के प्रति प्रभु राम का जो स्नेह प्रेम रहा सदा सदा के लिए अमर है। हरिदासजी महाराज ने कहा कि राजा दशरथ के संतान न होने के कारण अपने कुलगुरु वशिष्ठ के पास जाते हैं। जहां वशिष्ठ द्वारा श्रृंगी ऋषि से शुभ पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाते है। यज्ञ कुंड से अग्नि देवता का प्रकट होकर राजा दशरथ को खीर प्रदान करते हैं। जिसके बाद राजा दशरथ द्वारा तीनों रानियों कौशल्या, कैकई और सुमित्रा को खीर देते है। उस खीर के खाने से तीनों रानियों को भगवान राम सहित भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म होता है। इस अवसर पर सभी ग्रामवासी पुरुष , महिलाए,बच्चो सहित पंडाल भर गया ।
पंडित श्रवण सारस्वत खारड़ा ने इंडिया की आवाज को बताया की नित्य प्रति दिन चल रही इस रामकथा का लोग भरपूर लाभ ले रहे हैं
और सुबह प्रभात फेरी गांव की गलियों जब जब निकलती हैं तब महिलाए गलियों की अच्छी तरह से साफ सफाई कर के घरों के आगे रंगोली और दीपक जला कर और पुष्प वर्षा कर के प्रभात फेरी का स्वागत करती हैं



संवादाता धर्मचंद सारस्वत
शिव पार्वती विवाह की कथा सुनकर हर्षित हुए श्रोता
ग्राम खारड़ा में चल रही नौ दिवसीय रामकथा में बुधवार को हरिदास जी महाराज ने शिव-पार्वती विवाह के प्रसंग की कथा सुनाई, जिसे सुनकर श्रोता हर्षित हो उठे।
कथावाचक ने कथा सुनाते हुए कहा कि जब शिव और पार्वती का विवाह होने वाला था तो एक बड़ी सुंदर घटना हुई। ऐसा विवाह इससे पहले कभी नहीं हुआ था। शिव दुनिया के सबसे तेजस्वी प्राणी थे। एक-दूसरे प्राणी को अपने जीवन का हिस्सा बनाने वाले थे, उनकी शादी में बड़े से बड़े और छोटे से छोटे लोग सम्मिलित हुए।
सभी देवता तो वहां मौजूद थे ही, असुर भी वहां पहुंचे। आमतौर पर जहां देवता जाते थे, वहां असुर जाने से मना कर देते थे और जहां कहीं भी असुर जाते थे, वहां देवता नहीं जाते थे, क्योंकि उनकी आपस में बिल्कुल नहीं बनती थी पर यह शिव का विवाह था, जिसमें सभी लोगों ने अपने सारे झगड़े भुलाकर एक साथ आने का मन बनाया।
शिव पशुपति का मतलब बताते हुए कहा कि इसका मतलब सभी देशों के देवता भी हैं। इसलिए सभी जानवर, कीड़े, मकोड़े और सारे जीव उनके विवाह में शामिल हुए।
यहां तक कि भूत, पिशाच और विक्षिप्त लोग भी बराती बनकर पहुंचे। यह एक शाही शादी थी, एक राजकुमारी की शादी हो रही थी।
विवाह का ये प्रसंग सुनकर सभी श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे। आदि उपस्थित रहे।
पंडित श्रवण कुमार सारस्वत ने बताया की इस रामकथा में दिन की शुरुवात सुबह पांच बजे प्रभात फेरी से शुरू होती हैं उसके बाद दोपहर रामकथा और रात्रि को मीरा चरित्र तक का शानदार कार्यक्रम रहता है





*श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव*
स्व. श्रीमती चांदा देवी रामचन्द्र जी मोदी एवं स्व. श्री प्रेमरतन जी मोदी (बजाज) की पुण्य स्मृति में *संत श्री मोहनराम जी महाराज* की मधुर व ओजस्वी वाणी में श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव का भव्य आयोजन हो रहा है, जो भी अपने इस दुर्लभ शरीर को सार्थक करने हेतु भक्ति ग्यान एवं वैराग्य की इस त्रिवेणी में कथामृत का रसपान करना चाहे वे सभी आमंत्रित हैं।
*आज 11 जनवरी 2023 को कृष्ण जन्म के प्रसंग का मुख्य आयोजन है ।*
*कथा स्थान- सामुदायिक भवन, पवनपुरी दक्षिण विस्तार, बीकानेर।*
समय सुबह 11 बजे से सांय 4 बजे तक
*आयोजन कर्ता: राजेन्द्र कुमार, विनोद कुमार मोदी*
*बजाज परिवार आपका हार्दिक स्वागत करता है*
निवेदक सामुदायिक भवन विकास समिति बीकानेर
संपर्क सूत्र- 9460667713, 9252876900