मूलनायक पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा 898 वर्ष प्राचीन है जो की दादागुरु जिनदत्त सूरी के हाथो से प्रतिष्ठित है जिसे दीवान सायमल जी कोचर गुजरात से यहां लगभग 400 वर्ष पहले लेके आए और भीनासर जिनालय का निर्माण करके यहां इस प्रतिमाजी को प्रतिष्ठित करवाया
अशोक कोचर और राहुल दफ्तरी ने बताया कि ये पर्युषण पर्व पर ये लगातार 7 साल से भक्ति हो रही है , प्रभु की रोज अदभुत आंगी की जाति है | पर्युषण पर्व पर मंदिर प्रांगण की विशेष साज सज्जा की गई है |भक्ति में विनोद सेठिया और सुनील पारख जैन धर्म के नए पुराने भजनों से ऐसे शमा बांधते है की भक्त प्रभु भक्ति में झूम उठते है ,
आज सोमवार को भक्ति का अंतिम दिन है ,बीकानेर भीनासर गंगाशहर उदासर उदयरामसर से सकल जैन समुदाय तपागच्छ ,खतरगच्छ , पार्श्वचंद्रसूरीगच्छ , तेरापंथ , स्थानक वाशी समुदाय से भक्त आते है भक्ति में
भक्तो की बढ़ती संख्या को देखते हुए 2 led tv मंदिर प्रांगण के बाहर लगाई गई है , पार्किंग की विशेष व्यवस्था की गई है|
भक्ति संध्या में कविराज कोचर, बसंत कोचर, विजयसिंह डागा,पारस कोचर,अजय पॉपी, सुरेन्द्र कोचर, प्रवीण कोचर, संजय कोचर, पारस कोचर ,सत्यप्रकाश कोचर, देवेंद्र पुगलिया ,नवीन डागा आदि कार्यकर्ता पूरे मन से सभी व्यवस्थाओं में लगे हुए है