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* होली कब है ? खंजर क्लब के चांग की थाप और मनमोहक बांसुरी की धुन सुनने को मिले समझो होली नजदीक है*
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सुपरहिट फिल्म शोले में खलनायक गब्बर का प्रसिद्ध डायलॉग होली कब है रे सांबा?
जी हां छोटी काशी बीकानेर में खंजर क्लब के सदस्यों द्वारा चग पर थाप और बांसुरी पर मधुर ध्वनि अगर आपको सुनाई देती है तो समझ लीजिए होली बहुत जल्दी है!

खंजर क्लब का चंग पर धमाल आज का कार्यक्रम जिसमें जन समूह का सैलाब उमड़ा इसमें विभिन्न कलाकारों ने भाग लिया चंग वादक घनश्याम सोलंकी ओम प्रजापत आशु सोलंकी बांसुरी पर ओम सेन बसंत ओझ झीज सतीश गहलोत प्रमोद गहलोत किशन सोनी धमाल पर विष्णु प्रजापत मेहरी कृष्णा डांसर

बांसुरी व चंग की धुन पर बीकानेर में विदेशी महिलाएं भी अपने आप को नहीं रोक पाती थिरकने से,बड़ा सुंदर नृत्य किया
बीकानेर वैसे तो हर सांस्कृतिक आयोजन में आगे रहता है लेकिन होली के विशेष पर्व पर बीकानेर में भांति भांति के आयोजन सदियों से होते रहे हैं। पूरे भारतवर्ष की बात करें तो होली के दिनों में चंग बजाने की परंपरा चाहे शहर हो या हो ग्रामीण क्षेत्र शाम ढलते ही चंग की धुन गूंजने लगती है। बीकानेर शहर में एक दिन के लिए बड़े-बड़े चांग वादन के आयोजन होते हैं लेकिन आपको जानकारी में रहे की शहर के मुख्य जूनागढ़ के आगे और राज रतन बिहारी मंदिर रतन बिहारी पार्क में निरंतर होली से एक माह पहले चंग व बांसुरी की धुन के साथ नाच नृत्य और गायन का कार्यक्रम शुरू हो जाता है जो होली तक चलता है। यहां हर आने जाने वाले व्यक्ति चंग पर गाए जाने वाले गीतों को बड़े चाव से सुनते हैं। खास बात तो यह कि यहां आने वाले विदेशी मेहमान अंग्रेज लोग भी चंग की ताल पर थिरकने लगते हैं अब चाहे यहां आने वाले महिला हो या पुरुष लेकिन थीरकते जरूर है।

राजरतन बिहारी पार्क में हर शाम होली के रसिया का लगता है जमघट, बांसुरी और चंग की धुन पर हर एक को थिरकना ही पड़ता है

यहां राजरतन बिहारी मंदिर परिसर रतन बिहारी पार्क में शाम 6:00 बजे के बाद हर कोई व्यक्ति चाहे वह देसी हो या विदेशी यहां पहुंच ही जाते हैं और यहां आकर बड़े चाव से चंग वादन को सुनते हैं और नृत्य करते हैं। यहां वृद्ध जवान महिला पुरुष सभी लोग बड़े चाव से आते हैं और भगवान के भजनों को फाग गीतों में कन्वर्ट कर गेट भी है।

युवाओं में चंग का रहे क्रेज इसलिए खंजर क्लब दे रहा है चंग वादन का लगातार प्रशिक्षण
खंजर क्लब के अध्यक्ष वरिष्ठ रेलवे से रिटायर्ड कर्मचारी घनश्याम जी सोलंकी चंग बजाने का बड़ा शौख रखते हैं और यहां युवा पीढ़ी के युवाओं को भी चंग बजाने की कला में निपुण करते हैं। यहां लगातार 8 दिन शिविर लगाकर युवाओं को चंग बजाने की बारीकिया समझाते हैं ताकि चांग बजाने की परंपरा जीवित रहे। चंग बजाने की धरोहर को आगे बढ़ाने का कार्य एक प्रकार से खंजर क्लब के द्वारा किया जा रहा है जो बड़ा ही साराहनिय है । यहां चंग के साथ बांसुरी की धुन तो मन मोह लेती है, दूर दराज के लोग यहां घंटे खड़े होकर चंग और बांसुरी की धुन पर गीतों को सुनते हैं और नृत्य भी करते हैं।

खंजर क्लब के तत्वाधान में जूनागढ़ के आगे और राजरतन बिहारी मंदिर रतन बिहारी पार्क में चंग एवं बांसुरी की धुन पर होली के पारंपरिक गीतों को गाया जाता है
बीकानेर के मुख्य जूनागढ़ के ठीक आगे खंजर क्लब की मंडली के द्वारा हर शाम को यह लोग “मस्त शाम” बना देते हैं क्योंकि इस फाग महीने में चंग बजाने का आनंद कुछ और ही है। इस दुर्ग को देखने के लिए देसी विदेशी सैलानी भी आते हैं और वह भी चंग पर गाए जाने वाले गीतों को बड़ी चाव से सुनते हैं

युवाओं में चंग का रहे क्रेज इसलिए खंजर क्लब दे रहा है चंग वादन का लगातार प्रशिक्षण
समय के साथ-साथ आज का लोग चंग को भूलते भी जा रहे हैं ऐसे में खंजर क्लब के अध्यक्ष घनश्याम जी ने एक बीड़ा उठाया की हम लोगों के बाद भी बीकानेर में चंग बजाने की प्रक्रिया जिंदा रहे तो इन्होंने अपने क्लब के सभी सदस्यों के द्वारा 8 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का भी आयोजन रखा जिसमें युवा चंग बजाने की और फाग गीत गाने की कला को सीख सके।
महाशिवरात्रि 8 मार्च को चांग वादन के परीक्षण का होगा समापन।

खंजर क्लब के अध्यक्ष घनश्याम जी सोलंकी बीकानेर में निरंतर 40 वर्षों से चंग बजाने की परंपरा को लगातार चला रहे हैं
चंग वादन में इनका रहता हैै सहयोग-:- क्लब के साथ जुड़कर क्लब अध्यक्ष घनश्याम जी सोलंकी, सतीश जी गहलोत,आसूजी सोलंकी, प्रमोद जी गहलोत,ओमप्रकाश की नाई, महावीर स्वामी, कैलाश भाटी,नरेंद्र कुमार देवड़ा, किशन जी सोनी, पहलवान महावीर कुमार सहदेव।

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दिलीप गुप्ता

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