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अंशुमान सिंह बोले – कोलायत में मोरबी की तर्ज पर गैस पाईप लाईन बिछे, सोलर पार्क स्थापित हो
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– गजनेर व बज्जू रिको क्षेत्र को मूलभूत सुविधा मिलें

– एशिया की सबसे बड़ी बीकानेर ऊन मण्डी को पुराना गौरव मिलें

– गोचर,ओरण व चारागाह भूमि सुरक्षित करने के लिए ठोस नीति बनायें

बीकानेरः- राजस्थान विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान कोलायत विधायक अंषुमान सिंह भाटी ने गुजरात के मोरबी की तर्ज पर गैस पाईप लाईन बिछाने व सोलर पार्क बनाने की मांग जोर-षोर से उठाई।

विधानसभा में अंषुमान सिंह भाटी ने कहा कोलायत में क्ले का अथाह भण्डार है।  कोलायत से प्रतिदिन 400 ट्रक 750 किलोमीटर दूर मोरबी जाते है वहां पर इस क्ले को गैस से पकाकर विट्रीफाईड टाईल्स व अन्य सिरेमिक उत्पाद बनाये जाते है।  अंषुमानसिंह ने कहा कि कोलायत में उद्योग लगाने के लिए खनिज का अथाह भण्डार है, नहर का पानी है व मेहनती युवा है।  भाटी ने कहा कि कोलायत में गैस पाईपलाईन बिछाने का कार्य होता है तो कोलायत में भी उद्योग पनप सकते है।  भाटी ने कहा इसके अलावा पिछले कुछ समय से कोलायत सोलर हब बनता जा रहा है।  कोलायत में सोलर पार्क बनाया जाये और उससे उत्पन्न हुई बिजली रियायती दरों पर उद्योगों को मिले तो कोलायत में निवेष आयेगा व रोजगार के अवसर पैदा होगें।  भाटी ने कहा कोलायत में खनिज है, नहर है नहीं है तो पर्याप्त उर्जा  यदि यह कमी पूरी कर दी जावें तो कोलायत में उद्योग विकसित हो सकेगें।

विधायक भाटी ने कहा कि हमारे बीकानेर जिले के अन्दर खनिज व सोलर ऊर्जा की बहुतायत है इसलिये हमारे क्षेत्र में तकरीबन 25 करोड का डीएमएफटी फंड इक्कठा होता है और साथ ही हमारे हक का करोडों का सीएसआर फंड भी बनता है परन्तु मुझे बडे दुःख से कहना पड़ता है कि हमारे हिस्से का सीएसआर फंड व डीएमएफटी फंड हमको आज भी नही मिल पा रहा है।

भाटी ने कहा मेरे विधानसभा क्षेत्र कोलायत, बीकानेर जिले के 25 करोड डीएमएफटी में से 17 करोड रूपये का योगदान देता है परन्तु उसके बावजूद भी हमे मात्र 8-10 करोड़ रूपये डीएमएफटी फंड मिलता है जबकि हमारा खुद का हिस्सा 17-18 करोड रूपये बनता है। यह अतिरिक्त फंड जिला प्रषासन द्वारा राजनैतिक दबाब के कारण उन क्षेत्रों का दे दिया जाता है जिनका खनन क्षेत्र में बिल्कुल भी योगदान नही है। मेरा आपसे अनुरोध है कि जिस क्षेत्र में खनन हो रहा है, जहां पर लोग-बाग प्रभावित हो रहे है, जहां प्रदूशण हो रहा है। जिन लोगों की जमीनें छीनी गई, जो लोग बेरोजगार हो चूके है, जिनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड हो रहा है। जो लोग दिन-रात खनन क्षेत्र में होने वाले धुएं, षोर षराबे के अन्दर अपना जीवन व्यतित करते है, उन्हीं गावों के विकास व वहां के निवासियों को डीएमएफटी फंड का लाभ मिलना  चाहिए।

भाटी ने कहा मेरे विधानसभा क्षेत्र के अन्दर तकरीबन 8 से भी अधिक 200-300 मेगावाट से अधिक क्षमता वाले सोलर प्लांट लगे हुये है, जिनका सीएसआर फंड हर साल करोडों रूपये का होता है परन्तु बडे़ दुख से कहना पड़ रहा है, हमे हमारे हक का सीएसआर फण्ड भी नही मिल रहा। करोड़ों तो छोडो, कभी-कभार कम्पनी वाले आते है, हमारे क्षेत्र में डेढ से दो लाख रूपये के टिफिन बॉक्स, लन्च बॉक्स, जोमेट्री बॉक्स, बैग देकर खुद के सीएसआर फंड की जिम्मेवारियों से पल्ला झाड लेते हैे।

भाटी ने सवाल उठाया  जो क्षेत्र करोड़ों रूपयों का राजस्व सरकार को देता है, क्या उनके लिये लाख-दो लाख की मुफ्त की रेवड़ियां न्याय संगत बात है। और तो और अत्यधिक राजनैतिक दबाब के कारण कई बार कलेक्टर ये फंड किसी ऐसे गैर-जरूरी काम में डाल देते है जिनकी कोई आवष्यकता ही नही होती है। हमे कई बार कह दिया जाता है कि हम आपका सीएसआर व डीएमएफटी फंड जिला मुख्यालय के अस्पतालों के लिये काम में ले रहे है या आपके जिले के मुख्यालय पर स्थित स्कूलों में लगायेगें। भाटी ने कहा  कि  ऐसा हमने क्या गुनाह किया है कि आजादी के 200 साल बाद भी खुद के गांव को छोडकर जिला अस्पताल में खुद के बहन-बेटे को दिखाने के लिये जाना पड़ता है। क्यो ना, उसी गांव के अन्दर, उसी तहसील स्तर पर, उसी उपखण्ड स्तर पर हमे अच्छी चिकित्सा सुविधा इसी डीएमएफटी व सीएसआर फंड से मिले।

भाटी ने सदन में मांग उठाई  कि सीएसआर व डीएफटी फंड के सही उपयोग के लिए मजबुत कानून लाया जाये जिससे फंड का दुरूपयोग होना बन्द हो सकें।

विधायक भाटी ने कहा एक तरफ सरकार कहती है कि ग्रीन एनर्जी लायेगेें सोलर को बढ़ावा देगें ।  सोलर के आने से ग्रामीणों की जमीनें चली जाती है आंखों के सामने खेजड़ी काटी जाती है ।  गांव वाले आपस में लड़ते रहते है मुकदमों का दंश झेलते है लेकिन जब रोजगार की बात आती है तो उन्हे हजार पन्द्रह सौ किलोमीटर दूर रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर होना पड़ता है।  भाटी ने कहा यह न्याय संगत नहीं है ।  उन्होने ऐसी नीति बनाने की मांग उठायी जिसमें गांव के युवा को चाहे इण्डस्ट्री हो या सोलर प्लांट हो उसे लोकल स्तर पर काम मिले तो उसका गांव से पलायन रूक जायेगा।  भाटी ने सदन में आज गजनेर व बज्जू रिको का जिक्र करते कहा कि यह रिको क्षेत्र सिर्फ कागजों में चल रहे है ना ही कोई यहां मूलभुत सुविधा उपलब्ध करवायी गयी ।  भाटी ने कहा जब तक यहां मूलभुत सुविधा उपलब्ध नहीं होगी यहां पर कोई भी उद्योग स्थापित नहीं हो पायेगा।  भाटी ने कहा विषय की गम्भीर को देखते हुए गजनेर व बज्जू रिको को आवश्यक सुविधा व एमएनटीज दी जायें जिससे वहां पर उद्योग स्थापित हो सकेे ।  भाटी ने एक समय था बीकानेर पूरे एशिया की सबसे बड़ी ऊन मण्डी हुआ करती थी ।  कोलायत विधानसभा क्षेत्र की मगरा ऊन तो पूरे विश्व में विख्यात थी ।  मगरा ऊन का फाइबर सौफ्टनेस व वाईट नेस आस्ट्रेलियन व न्यूजीलैण्ड की ऊन को टक्कर देती थी परन्तु हमने अपने उद्योगों पर ध्यान नहीं दिया आये दिन सोलर के नाम पर इण्डस्ट्री के नाम पर गांवों वालों से उनके चारागाह छीन , गोचर छीन लिया, ओरण छीन लिया ।  राजस्थान में पशु पालन रोजगार का सबसे बड़ा साधन है लेकिन ऊँट, भेड़  व बकरी की संख्या में घटोतरी देखनों को मिल रही है एक तरफ हम बात करते है पशु अनुसंधान केन्द्र बनाये जा रहे है लेकिन जिस प्रकार चारागाह कम हो रहे है भेड़ बकरी, ऊँट को स्टोर फीडिंग नहीं कर सकते है उनको चारागाह की अत्यन्त आवश्यकता है अगर ये चारागाह खत्म होगे तो भेड़ बकरी ऊन भी खत्म होगी ।  उस समय सरकार द्वारा स्थापित पशु अनुसंधान केन्द्रों का औचित्य ही खत्म हो जायेगा ।  भाटी ने कहा कि बीकानेर की ऊन मण्डी को अपना पुराना गौरव लाने के लिए प्रयास की आवश्यकता है ।  इसके लिए पशुपालकों व ऊन उद्योगपतियों को आमने-सामने बिठा कर उनकी राय के आधार पर ऊन नीति बनायी जाए।  भाटी ने सीमापार से आने वाली नशे की खेप का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे हमारे युवा नशे की लत का शिकार हो गये है व आये दिन झगड़े व परिवार पर आर्थिक संकट आज आ चुका है।  भाटी ने नशे के दलदल में डुबे युवाओं को सरकार व जनता के सहयोग से निकालने की पहल की आवश्यकता जतायी ।


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Gordhan Soni

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