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प्रभु भक्ति से अनुकरणीय शक्ति की प्राप्ति-जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वर महाराज भगवान महावीर की सवारी की यात्रा संपन्न
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बीकानेर, 17 नवम्बर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वर महाराज आदि ठाणा 18 व साध्वीश्री विजय प्रभा व प्रभंजनाश्रीजी आदि ठाणा 5 के सान्निध्य रविवार को ढढ्ढा चौक में भगवान सवारी में शामिल भजन मंडलियों का भक्ति का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
ढढ्ढा चौक में जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी, बीकानेर में मुनि सम्यक रतन सागर आदि ठाणा 18 व बीकानेर की साध्वीश्री प्रभंजना व चिद्यशा महाराज आदिठाणा ने भक्ति भाव से सवारी में भगवान महावीर स्वामी, भगवान शांति नाथ सहित सभी तीर्थंकरों की वंदना की। श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट अध्यक्ष रतन लाल नाहटा, श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ, श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के पूर्व अध्यक्ष निर्मल धारीवाल, श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के वरिष्ठ सदस्य इंजीनियर अशोक पारख, यशवंत व अनुराग कोठारी सहित समस्त चौक के श्रावक-श्राविकाओं ने परमात्मा की सवारी में चांदी के तिगड़े पर प्रतिष्ठित परमामा की प्रतिमा को नमन कर भेंट चढाई ।
जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वर महाराज ने भगवान महावीर की सवारी में शामिल श्रावक-श्राविकाओं को मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि परमात्म प्राप्ति का एक मार्ग प्रभु भक्ति है। भक्त हृदय से पुकार कर, परमात्मा के स्तुति वंदना के भजन गाकर मंत्र जाप कर आत्म-परमात्म स्वरूप् को प्राप्त कर सकते हैं। अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने अनन्य भाव से भक्ति का आलम्बन लेकर और नवकार महामंत्र सहित अनेक मंत्रों का सस्वर जाप कर आत्म-परमात्म तत्व की प्राप्ति की है। निष्काम भाव से की गई प्रभु भक्ति से अनुकरणीय शक्ति मिलती है। श्रावक-श्राविकाएं राग-द्वेष आदि कषायों का त्याग कर भाव विभोर होकर भक्ति कर अपने आत्म लक्ष्य को प्राप्त करने का पुरुषार्थ व प्रयास करें। बीकानेर के मुनि सम्यक रतन सागर महाराज ने कहा कि कोलकाता व बीकानेर हिन्दुस्तान में ऐसे शहर है जहां कार्तिक पूर्णिमा पर करीब दो शताब्दी से अधिक समय से भगवान महावीर स्वामी की सवारी निकलती है। कार्तिक पूर्णिमा पर जैन मुनियों व साध्वीवृंद के चातुर्मास पूर्ण होने पर स्थान परिवर्तन का विधान है। इस विधान की पालना में श्रावक बीकानेर में उत्साह, उमंग व भक्ति से परमात्मा की पालकी को विभिन्न इलाकों में घूमाकर धर्म-आध्यात्म का संदेश देकर जिन शासन की प्रभावना कर रहे है। परमात्मा की सवारी सहित विभिन्न जिन शासन के उत्सवों में सभी श्रावक-श्राविकाओं को गच्छ, पंथ का भेद भूलकर अधिकाधिक संख्या में शामिल होकर शासन की शोभा में श्रीवृद्धि करें।
ढढ््ढा चौक में वीर मंडल, महावीर मंडल, कोचर मंडल, आदिश्वर मंडल, श्री जैन गौतम मंडल, जैन मंडल के कलाकारों ने विभिन्न राग व तर्जों में भगवान आदिनाथ, भगवान महावीर स्वामी, शांति नाथ तथा पार्श्वनाथ के भजन प्रस्तुत किए। सवारी में शामिल श्रावक श्राविकाओं का ढढ्ढा चौक के यशराग निकेतन में छोला कुलचा, हलुवा व चाय आदि से यशवंत-अनुराग, सुनीता, शीलू कोठारी, सौम्या, सिद्धार्थ डागा, वेणी,अपूर्व, भव्या कोठारी व गुड़िया आदि ने मनुहार के साथ सत्कार किया । बागड़ी मोहल्ला में हनुमान मंदिर के पास, कोचरों का चौक, डागा, सेठिया पारख चौक व सुराणा मोहल्ले में भी मंच पर भजन मंडलियों ने भजनों की प्रस्तुतियां दी। भजन मंडलियों के प्रस्तुतियों के स्थल पर चाय-नाश्ता से सत्कार किया गया। विभिन्न भजन मंडलियों के सदस्य, श्री जिनेश्वर युवक परिषद,,, ज्ञान वाटिका के बच्चों सहित सभी मंडलों के सदस्य अलग-अलग गणवेश में थे।
श्रावक ’’ चंदन की दो चौकियां पुष्पन के दो हार, केसर भरियों बाटको, पूजों नेम कुमार’’ व जिन शासन देव की जय का उद्घोष करते हुए चल रहे थे। गाजे बाजे से निकली भगवान की सवारी में चांदी का कल्पवृक्ष, भगवान महावीर स्वामी की माता त्रिशला देवी को स्वपन में दिखाई दी 14 वस्तुओं, चांदी का समोवसरण, भगवान महावीर के जीवन आदर्शों से जुड़े तेल चित्र, पंचरंगी जैन ध्वज, शत्रुंज्य तीर्थ पट्् आदि शामिल थे। सवारी विभिन्न मोहल्लों से होते हुए बैदों के महावीरजी के मंदिर पहुंचकर संपन्न हुई। श्री जैन श्वेताम्बर महावीर स्वामी जी का मंदिर के अध्यक्ष राजेन्द्र बैद व मंत्री भूपेन्द्र बैद ने सकल श्री जैन संघ, जिला व पुलिस प्रशासन का भगवान महावीर स्वामी की सवारी में सहयोग पर आभार व्यक्त किया ।

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