बीकानेर। रमक झमक परिसर में 13 एवं 14 अप्रैल को दो दिवसीय ‘म्हारी गणगौर उत्सव’ आयोजित किया जाएगा। रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरुं’ ने बताया की उत्सव के दौरान बालिकाओं एवं महिलाओं द्वारा गवर के पारम्परिक गीतों एवं पारम्परिक नृत्य प्रस्तुत होंगे,साथ ही गणगौर संस्कृति पर आधुनिक पाश्चत्य प्रभाव को लेकर ‘वर्तमान में गणगौर की प्रासंगिकता’ विषय परिचर्चा होगी। गवर पर केन्दित व गवर को समर्पित कवि सम्मेलन होगा। ओझा ने बताया कि गणगौर निर्माण करने,रंग रोगन,श्रंगार करने,कपड़े आभूषण बनाने,गवर को सजाने संवारने एवं पारम्परिक गीत गाने उस पर लोक नृत्य करने अथवा आयोजन करने वाली 11 महिलाओं को रमक झमक संस्थान द्वारा ‘गणगौर संस्कृति सम्मान’ अलंकरण प्रदान किया जाएगा। 2 पुरुषों को भी गणगौर संस्कृति में योगदान एवं नवाचार के लिए विशिष्ट सम्मान भी दिया जाएगा।
रिंकू ओझा ने बताया रमक झमक की ओर से प्रकाशित ‘म्हारी गणगौर’ में पारम्परिक गीतों को संकलित करवाने,लिखवाने,राग लय रिकॉर्ड करवाकर क्यू आर कोड के जरिए आम जन तक राग पहुचाने वाली टीम की मुखिया का भी स्वागत किया जाएगा।लक्ष्मी ओझा ने बताया कि उत्सव के दौरान गवरजा कहानी, कथा होगी व सामूहिक आरती की जाएगी।।
आयोजन को लेकर रमक झमक की ओर आज एक पोस्टर जारी किया गया जिसका लोकार्पण आर एस वी ग्रुप की राष्ट्रीय पब्लिक स्कूल की प्राचार्य श्रीमती सुनीता सेवग,वरिष्ठ लोक गायिका श्रीमती पदमा व्यास,’म्हारी गणगौर’ पुस्तक की वरिष्ठ निर्देशिका श्रीमती रामकंवरी ओझा,लक्ष्मी ओझा रिंकू ओझा एवं रमक झमक अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरुं’ ने किया। लोकार्पण के अवसर पर ने अतिथि के रूप में श्रीमती सुनीता सेवग ने कहा कि गणगौर हमारी सास्कृतिक धरोहर है। इसके संरक्षण के लिये रमक झमक का यह आयोजन गणगौर प्रेमियों में उत्साह भर उन्हें आगे सेवा के लिये प्रेरित करेगा।उन्होंने आयोजन के लिये अग्रिम शुभकामनाएं दी।श्रीमती पदमा व्यास ने कहा कि ऐसे आयोजन की वर्तमान में अधिक आवश्यकता है। इससे पूर्व रमक झमक की ओर से दोनों अतिथियों को माला पहनाकर सत्कार किया गया।
