चांदमल ढढा की गणगौर सुंदरता, आभुषण व गीतों के लिए प्रसिद्ध है !
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146 वर्ष पुराना ऐतिहासिक मेला ढढों के चौक मे प्रतिवर्ष आयोजित हने वाला चांदमल ढढा की गणगौर का मेला 146 वर्ष पुराना है। रविन्द्र कुमार ढढा के अनुसार मेले के प्रति लोगो मे प्रगाढ आस्था व भक्ति भावना है।
शहर से गांवों तक के लोग मां गवरजा एवं भाया के दर्शन हेतु ढढों के चौक मे पंहुचते है। चांदमल ढढा परिवार के सदस्य भी देश के विभिन्न स्थानों व विदेशों से मेले के दौरान बीकानेर पंहुचते है व मां गवरजा की पूजा अर्चना कर मनवांछित फल की कामना करते है।
बीकानेर के गणगौर पूजन महोत्सव मे चांदमल ढढा की गणगौर का विशेष स्थान एवं महत्व है। रियासत काल से अब तक चांदमल ढढा की गणगौर अपने अद्वितीय सुंदरता, कलात्मक आभूषणों एवं गणगौर गीतों मे विशेष स्थान रखती है।
बीकानेर मे गणगौर गीतों का गायन कही पर भी चांदमल ढढा की गणगौर के रूप श्रृंगार तथा राजसी ठाठ-बाट का बखान नूंवी हवेली, पौटे गवरजा, खस खस पंखा गीत के माध्यम से होता है।
रविन्द्र कुमार ढढा के अनुसार आमजन का विशेष लगाव, श्रद्धा भक्ति मां गवरजा के प्रति है। इसी कारण जन जन के मन व हर कंठ मे चांदमल ढढा की गणगौर समायी हुई है।
बीकानेर की सबसे प्राचीन ढ़ढ़ो की गवरजा माता !
जय गणगौर माता !
जय बीकाणा जय जय राजस्थान !
आप सभी से निवेदन है कमेंट बाक्स मैं ‘गवरजा माता री जय’ लिखकर अपनी मौजूदगी दर्ज करवाये