प्रभु माधो निवास में भागवत ग्रंथ शोभायात्राख् हवन के बाद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ संपन्न
बीकानेर, 27 जून। साले की होली चौक क्षेत्र के मुरली मनोहर मंदिर के पास स्थित प्रभु माधो (कुंज) निवास में सोमवार को श्रीमद्् भागवत ग्रंथ की शोभात्रा, वैदिक मंत्रोंच्चारण के साथ हवन तथा श्रीमद्् भागवतजी के मूल पाठ और 12 स्कंध के वाचन विवेचन के बाद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ संपन्न हुआ।
साले की होली के प्रभु माधो निवास से रवाना हुई शोभायात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए रताणी व्यासों के चौक पहुंचकर संपन्न हुई। शोभायात्रा में शामिल भक्तजन लाल, कसुम्बल, केसरिया वस्त्र पहने प्रभु नाम स्मरण के साथ संकीर्तन करते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा में शामिल भक्तजनों का रास्ते में पुष्पवर्षा व शीतल पेय से स्वागत किया गया।
भागवताचार्य पंडित अरूण कृृष्ण व्यास ने कथा में कहा कि आत्मा के सही स्वरूप् को पहचानकर परमात्मा से निष्काम एवं अनन्य प्रेम भाव से जुड़ना ही भागवत है। परमात्मा से आत्मा का मिलन ही भागवत है। उन्होंने भगवान श्रीकृृष्ण सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि परमात्मा का प्रेम, दया व कृपा सब प्राणियों में समान है। परमात्मा को सच्चे मन से स्मरण करने से, वे भक्त की हर तरह से मदद करते है। उन्होंने कहा कि गुरु, मित्र व ज्योतिषी के घर कभी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए।
भागवताचार्य व्यास ने बारहवें स्कंध का महत्व बताते हुए कहा कि कलयुग में झूठे, पापी, चोर, डाकू व बईमान लोगों का वर्चस्व व सता रहेगी। जो अधिक शक्तिशाली होगा वही सता पर आसीन रहेगा। मनुष्य की आयु व बुद्धि क्षीण होती रहेगी। कलयुग में प्रभु नाम स्मरण,हरी नाम संकीर्तन ही लोगों को कलिकाल के प्रभाव से बचा सकता है।
भागवत कथा के मुख्य यजमान माधोदास हर्ष व श्रीमती कृष्णा देवी ने शास़्त्रोक्त विधि से ’ऊं नमो भगवत वासुदेवा’’ मंत्र के साथ हवन मेंं आहुतियां दी । भगवान श्रीकृष्ण, हवन वेदिका की आरती व कथावाचक भागवताचार्य पंडित अरूण कृृष्ण व्यास अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर नन्हें बालक मेधान्श का जन्म दिन दान-पुण्य, प्रभु नाम संकीर्तन के साथ मनाया गया। ब्रह््मलीन पंडित कालीदास व श्रीमती मोहिनी देवी, पंडित नथमल व सूरजदेवी का भी स्मरण करते हुए पुष्पाजंलि दी तथा नमन किया।