पूर्व राजपरिवार के आवास रहे लालगढ़ से ऊंट उत्सव का आगाज होगा। पहले दिन तेरह जनवरी को बीकानेर कार्निवल होगा। इस कार्निवल में हिस्सा लेने वाले कई तरह के मुखौटे पहने होंगे। इनमें देश की संस्कृति की झलक नजर आएगी। अनेक राज्यों की पारम्परिक वेशभूषा में ये लोग नजर आएंगे। आमतौर पर विदेशों में इस तरह के कार्निवल होते हैं लेकिन इस बार बीकानेर में भी होगा। ये कार्निवल लालगढ़ से रवाना होकर लक्ष्मी निवास होटल, कीर्ति स्तम्भ, जूनागढ़ फोर्ट से पब्लिक पार्क पहुंच जाती है। कार्निवल दोपहर दो बजे शुरू होगी और शाम छह बजे तक होगी। तेरह जनवरी को ही बीकानेर के दम्माणी चौक में रम्मत का आयोजन होगा। यहां पर्यटक रम्मत देखने के बाद ढड़ढो के चौक में गणगौर घूमर देखने पहुंचेंगे। यहां से पर्यटक कोचरों के चौक में जाएंगे। यहां लाइव फ्यूजन शो होगा। यहीं पर अन्य आयोजन हाेगा। केमल फेस्टिवल के पहले दिन ऊंट की भूमिका कम होगी लेकिन दूसरे दिन 14 जनवरी को सभी कार्यक्रम ऊंट उत्सव से जुड़े होंगे। केमल रिसर्च सेंटर के मैदान पर होने वाले कार्यक्रमों में केमल डांस, केमल फर कटिंग और केमल रेस होगी। इस दौरान विदेशी और देशी पर्यटकों का जमावड़ा रहेगा।
दूसरे दिन शाम चार बजे से आयोजन शुरू होंगे। यहां मिस मरवण, मिस्टर बीकाणा और बीकानेर फेशन शो होगा। इस दौरान स्थानीय कलाकारों की ओर से कार्यक्रम होगा। देर शाम सात से दस बजे तक राजस्थान लोक नृत्य कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।
तीसरे दिन पंद्रह जनवरी को रायसर गांव में समापन होगा। जयपुर रोड पर स्थित इस गांव के धोरों में ऊंटों के करतब होंगे। इसमें टग ऑफ वार, रेसलिंग, कबड्डी, पगड़ी बांधने, मटका रेस आदि कार्यक्रम होंगे। इसी दिन रात में बड़ा आयोजन होगा। जिसमें देश के ख्यातनाम कलाकार सुर लहरी बिखेरंगे।
तेरह जनवरी को ही बीकानेर के दम्माणी चौक में रम्मत का आयोजन होगा। यहां पर्यटक रम्मत देखने के बाद ढड़ढो के चौक में गणगौर घूमर देखने पहुंचेंगे। यहां से पर्यटक कोचरों के चौक में जाएंगे। यहां लाइव फ्यूजन शो होगा। यहीं पर अन्य आयोजन हाेगा।