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पांच हजार गज जमीन पर बना दुर्गा माता का लाल और गुलाबी पत्थर से पांच शिखर वाला भव्य मंदिर, प्राण प्रतिष्ठा हुई प्रथम नवरात्रि में…
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बीकानेर के व्यवसायी ने कोलकाता से दुर्गा माता की अष्टधातु की पांच फीट ऊंची मूर्ति लाई, यहीं पर स्थापित कर दिया है

मोहता ने भव्य मंदिर का निर्माण कराया पांच हजार गज जमीन पर है।

ऐसी मान्यता है कि हर अच्छे काम के लिए ईष्टदेवी-देवता का हुकुम होना जरूरी होता है। कोलकाता में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व होने से प्रकाश कुमार मोहता ने दुर्गा माता की अष्टधातु को पांच फीट ऊंची मूर्ति स्थापित किया हे। बीकानेर से लगाव होने के कारण भव्य मंदिर भी बीकानेर में ही बनवा दिया।

बीकानेर मूल के कोलकाता में बसे उद्योगपति प्रकाश कुमार मोहता ने गजनेर रोड पर राकांवत भवन के पास दुर्गा माता के मंदिर का निर्माण कराया है।
इस मंदिर में मां दुर्गा सहित श्रीनाथजी, त्रिमूर्ति, गणेश और हनुमान जी की प्रतिमा लगाई गई हैं ।
इसके लिए पांच अलग-अलग गुंबज बनाए गए है। राजस्थान के बस्सी पहाड़पुर के लाल और गुलाबी पत्थरों से निर्मित इस भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 मार्च को चैत्र नवरात्रि के दिन वृंदावन के आचार्य पुंडरीक जी गोस्वामी महाराज के कर कमलों से हुई।
मंदिर का निर्माण बीकानेर में ही कराने की वजह पूछने पर मोहता ने बताया कि करणी माता की बीकानेर पर असीम कृपा रही है। विश्व प्रसिद्ध देशणोक पहचान भी इसी से
है।
दूसरा कारण रेलवे स्टेशन के सामने मोहता धर्मशाला,जिसका निर्माण करीब 130 साल पहले हमारे पूर्वजों ने कराया था। दादा स्वर्गीय राधाकिशन मोहता,
पिता स्व. श्रीरतन मोहता ने जन कल्याण के काफी काम किए। यह मंदिर उन्हीं के आशीर्वाद का प्रतीक है।

मंदिर 23 मार्च से मूर्ति का निर्माण कोलकाता के प्रसिद्ध मूर्तिकार जनता के दर्शनार्थ खोल दिया है ।

महिषासुर मर्दिनी के रूप में विराजमान मंदिर मैं दुर्गा माता की प्रतिमा महिषासुर मर्दिनी के रूप में विराजमान हैं। राक्षसों का संहार करने के बाद माता का शांत स्वरूप नजर आता है। आमजन को इनके दर्शनों को लाभ मिलेगा। ऐसी मान्यता है कि इस रूप में माता के दर्शन करने से सभी संकट टल जाते हैं।

जस्सूसर क्षेत्र का पहला भव्य मंदिर दुर्गा माता का मंदिर जस्सूसर गेट के बाहरी क्षेत्र में पहला भव्य मंदिर होगा। जमीन के मालिक प्रकाश कुमार मोहता ने बताया कि मंदिर में लाल और गुलाबी रंग के पत्थरों पर कारीगरी का काम किया गया है। इस्कॉन मंदिरों में भी इन्हीं पत्थरों का उपयोग हुआ है। मंदिर का डिजाइन मुम्बई के सुभाष बोयते ने तैयार किया है। सुभाष अब तक 150 मंदिर डिजाइन कर चुके हैं। अष्ट धातु की सिंगल पीस कास्टिंग चिंतामणीकार ने किया था। मंदिर का कंस्ट्रक्शन बीकानेर के मधुसूदन अग्रवाल ने किया है।

  • वृंदावन से आए पंडितों ने करवाई प्राण प्रतिष्ठा, सुबह 7 से 12 और शाम 5 से 9 बजे तक खुला रहता है मंदिर।

शहर का पांच शिखर वाला पहला मंदिर जिसमें दुर्गा, गणेश, श्रीनाथजी, दतात्रेय, हनुमानजी की मूर्तिया ।

नवरात्रि में बीकानेरवासी सुबह से लेकर शाम तक मंदिरों में दर्शन के लिए संपरिवार जाते हैं। देशनोक के करणी माता मंदिर, नागाणेचेजी मंदिर, जयुपर रोड स्थित वैष्णोधाम जैसे बड़े मंदिरों में हजारों की संख्या में लोग धोक लगाने और मन्नत मांगने पहुंचते हैं। धर्मनगरी के ऐसी ही सनातन धर्म वाले लोगों के लिए गुरुवार से एक और मंदिर दर्शनार्थ खुल रहा है। जस्सूर गेट के बाहर रांकावत भवन के पास बना पांच शिखर वाला मां दुर्गा का मंदिर। यह मंदिर अपने आप में अनूठा है। इस मंदिर में भगवान गणेश, श्रीनाथजी, गुरु दतात्रेय के साथ हनुमानजी की मूर्तियां भी स्थापित की गई है। अष्टधातु से बनी मां दुर्गा की पांच फीट ऊंची मूर्ति सहित सभी मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा बुधवार को हुई। वृंदावन से आए पंडितों ने हवन में आहुतियां दिलवाई और प्राण प्रतिष्ठा करवाई। मंदिर का उद्घाटन वृंदावन के आचार्य पुंडरीकजी गोस्वामी महाराज ने किया। मंदिर निर्माता कोलकाता प्रवासी प्रकाश कुमार मोहता ने बताया कि पांच हजार गज जमीन पर बना यह मंदिर सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम पांच बजे से रात नौ बजे तक आम श्रद्धालुओं के लिए खुलेगा। बुधवार को प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई है। गुरुवार से यह सभी लोगों के दर्शनार्थं खोला गया है।

इस मंदिर की एक और खासियत यह भी है कि यहां पर करणी माता का मंदिर भी पास में है जो भी काफी पुराना प्रसिद्ध मंदिर है दोनों मंदिर पास पास होने से मेला सा लगा रहता है।

आप सभी भक्तो को मंदिर का एक बार दर्शन जरूर करना चाहिए ।

मंदिर परिसर में हुए हवन में प्रकाश

कुमार मोहता अपनी पत्नी जयश्री मोहता के साथ बैठे। इसके

हवन में इन लोगों ने दी आहुतियां साथ हो प्रतिभा- साकेत खेतान, अवसर के साक्षी

मैत्री-विकास कंदोई, जयतिका जटिया- आनंद जटिया और

मोलीश्री ने आहुतियां दी पन्नालाल कोठारी ने बताया कि मंजूश्री सिंधी शांती प्रकाश सिंधी भी पहुंचे।

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