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विवाहित महिला घर-मालकिन (जीवन अधिकार संरक्षण) अधिनियम” बनाने की माँग – प्रधानमंत्री के नाम से बीकानेर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा
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अनामिका महिला अस्तित्व जागृति फाउंडेशन’ की संस्थापक अध्यक्ष डॉ. मंजु गुप्ता कछावा ने बताया कि इस अधिनियम में ये माँगे रखी जा रही हैं – इस “विवाहित महिला घर-मालकिन (जीवन अधिकार संरक्षण) अधिनियम” में निम्नलिखित तथ्यों का समावेश होना चाहिए तथा पत्नी के अधिकारों के हनन को पति द्वारा पत्नी के जीवन का हनन करने का गैर-जमानती अपराध माना जाए :-
महिला के विवाहोपरांत व्यक्तित्व की संरक्षा व सुरक्षा हेतु निम्नलिखित प्रावधान किए जाएँ ;
जिस प्रकार जन्म व मृत्यु का पंजीयन आवश्यक है उसी प्रकार विवाह का पंजीयन अनिवार्य किया जाए तथा आधार कार्ड में विवाह पंजीयन अपडेट कराना अनिवार्य किया जाए अन्यथा आधार कार्ड इनवैलिड माना जाए और आधार कार्ड से जुड़ी कोई भी सुविधाएँ न मिल सकें.
स्त्री के व्यक्तित्व की संरक्षा व सुरक्षा हेतु पति अथवा किसी भी अन्य व्यक्ति के द्वारा महिला पर विवाहोपरांत उसका नाम परिवर्तन कराने हेतु दबाव नहीं डाला जाए, यदि महिला नाम परिवर्तन करने हेतु सहमत हो तो उसकी सहमति ‘नोटरी’ के समक्ष दोनों पक्षों के गवाहों की उपस्थिति में हस्ताक्षरित शपथ-पत्र द्वारा लेना अनिवार्य हो.
पत्नी को बराबर-बराबर हिस्सा मिले.
“मेट्रीमोनियल होम” जो कि कानून में परिभाषित है जिसमें पति-पत्नी निवास करते हैं उसके अतिरिक्त पति द्वारा संपत्ति के तौर पर बनाए गए अन्य मकानों तथा संपत्तियों पर जिस प्रकार पति का एकल अधिकार परिभाषित किया गया है उसमें यह “विवाहित महिला घर-मालकिन (जीवन अधिकार संरक्षण) अधिनियम” कोई प्रभाव नहीं करेगा अर्थात वे पति की ही संपत्ति रहेंगे तथा इसी प्रकार यदि पत्नी अपनी कमाई से अन्य मकान अपनी संपत्ति के तौर पर अन्य मकान अथवा संपत्तियाँ बनाती है तो उस पर पत्नी का एकल अधिकार हो.
प्रतिनिधिमंडल में संस्थापक अध्यक्ष डॉ. मंजु गुप्ता कछावा व पदाधिकारी एवं सदस्य अनु सुथार, अर्चना सक्सेना, कविता शर्मा, माया सोनी, नीलम बंसल, नीतू पारीक, प्रिया पवार, श्रीमती राधा खत्री, रीटा तनेजा, संगम रोहिल्ला, सपना बेरवाल, शशि गुप्ता, शिल्पा कोचर, शिप्रा शंकर, सोनिका विजय, ऊषा अरोड़ा शामिल रहीं.

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दिलीप गुप्ता

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