बीकानेर, 17 जून। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने सोमवार को ढढ्ढा चौक परिसर में प्रवचन में कहा कि नौ पुण्यों का अर्जन करें तथा पाप कर्म बंधनों से बचे।
आचार्यश्री के सान्निध्य में मंगलवार को प्रवचन पंडाल में सुबह पौने नौ बजे आगामी 27 जून से एक जुलाई तक शिवबाड़ी में होने वाले भगवान श्री पार्श्वनाथ मंदिर में जिन प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा व अंजन श्लाका महोत्सव के आमंत्रण पत्र शुभ लेखन का अनुष्ठान मंत्रोच्चारण से होगा।
आचार्य श्री ने प्रवचन में कहा कि मन के तीन शुभ कर्मों में दूसरों के द्रव्य, धन व संपत्ति की लालसा नहीं रखे, सभी के लिए शुभ चिंतन करें, परमात्मा व शास्त्रों पर विश्वास रखते हुए धर्म व शास्त्र सम्मत कार्य करें। किसी के बारे में अशुभ भाव व विचार मन में नहीं लाएं। उन्होंने कहा कि सत्य वाणी व वचन का उपयोग करें, धीरे, मीठे व मधुर बोल बोले किसी की निंदा नहीं करें। शरीर से परोपकार करें, किसी को दुःख व पीड़ा नहीं पहुंचाएं। अन्य पुण्य के तहत शुद्ध शाकाहारी भोजन का उपयोग स्वयं करें तथा दूसरों को भी शाकाहारी भोजन के लिए प्रेरित करें। जिनके खाने के लिए भोजन नहीं है उनको अन्न व भोजन सामग्री का प्रदान करें। पान पुण्य यानि शुद्ध पेयजल का उपयोग करें, पानी को उबालकर ठंडा कर उपयोग करना श्रेष्ठ रहता है। पानी की बचत करें तथा व्यर्थ नहीं बहावें। पानी के व्यर्थ गंवाने से हजारों जीवों की आशातना होती है। देव व गुरु की भक्ति करें तथा शुद्ध, आसन, स्थान व वस्त्रों का उपयोग करें। मुनि संवेग रत्न सागर ने भी प्रवचन किए। विचक्षण ज्योति साध्वीश्री चंदन बाला के नेतृत्व में साध्वीवृंद ने गुरुवंदना की।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, वरिष्ठ श्रावक राजेन्द्र लूणिया, विमल सुराणा, श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ व मंत्री मनीष नाहटा ने छतीसगढ़ के सुरेन्द्र पारख, पीयूष चौपड़ा, गौत्तम पारख, चन्द्रेश गोलछा, खरतरवसीय, पालीताणा गुजरात के ट्रस्टी बाबू लाल संकलेचा, रायपुर के विजयचंद कांकरिया, चैन्नई के राजकुमार लूणावत, कोटा की जौली भंडारी, गुरु भक्त शुभम व गोल्डी का श्रीफल, माला व दुपट्टा पहना कर अभिनंदन किया।
मंत्र जाप व आयम्बिल, उपवास
आचार्यश्री जिन पीयूष सूरीश्वरजी के सान्निध्य में सोमवार को निरीही पशुओं की आत्म शांति व कल्याण के लिए बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने मंत्र का जाप जाप किया तथा आयम्बिल व उपवास आदि तपस्याएं कर प्राण गंवाने वाले जीवों की आत्म शांति की प्रार्थना की।