बीकानेर, 23 जुलाई। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने मंगलवार को ढढ्ढा चौक में प्रवचन में कहा कि अहंकार के त्याग व समर्पण बिना सम्यक ज्ञान, दर्शन व चारित्र (रत्नत्रय) रत्न त्रय और सुदेव, सुगुरु और सुधर्म की प्राप्ति नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि अहंकार की तुष्टि व पुष्टि के लिए की गई सुदेव, सुगुरु व सुधर्म की प्रार्थना निष्फल होती है। देव तत्व, गुरु तत्व व धर्म तत्व की प्राप्ति व जिनवाणी, वचन व स्वाध्याय में श्रद्धा, समर्पण, आस्था व भक्ति उच्च कोटि की होनी चाहिए । उन्होंने गणधर गौतम स्वामी का स्मरण दिलाते हुए कहा कि भगवान महावीर की शरण लेकर अहंकार को त्याग कर वे पूजनीय व वंदनीय बन गए। बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर ने कहा कि सदैव, सुधर्म व सुगुरु के गुणों को ग्रहण करें। उनके बताए मार्ग पर चलते हुए आत्म गुणों का विकास करें। अपने वीजन, सोच व दृष्टि को सही रखे ।
आचार्यश्री, मुनि व साध्वीवृंद के सान्निध्य में राजनांद गांव के पूर्व महापौर नरेश डाकलिया, रोशन गोलछा, चैन्नई के बस्ती चंद कानूगा, दिल्ली के सुनील खजांची, छतीसगढ़ के प्रदीप टांटिया का माला, दुपट्टा व पगड़ी से वस्तुपाल पारख, वीरचंद बेगानी व सुरेन्द्र बरड़िया ने अभिनंदन किया।
भाव शुद्धि जरूरी मुनिश्री पुष्पेन्द्र विजय एवं श्रुतानंद विजय
बीकानेर, 23 जुलाई। रांगड़ी चौक की तपागच्छी पौषधशाला में जैनाचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी के आज्ञानुवर्ती मुनिश्री पुष्पेन्द्र विजय एवं मुनिश्री श्रुतानंद विजय ने मंगलवार को प्रवचन में कहा कि साधना, आराधना व भक्ति में भाव शुद्धि जरूरी है। अनन्य, शुद्ध व समर्पण भाव से सुदेव, सुगुरु व धर्म की प्राप्ति संभव है।
उन्होंने कहा कि पंच परमेष्ठि अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय व साधु का भाव से नमस्कार वंदन करें तथा अपने माता-पिता, सुगुरु, सुधर्म व सुदेव के उपकारों को नहीं भूले तथा उनके प्रति कृतज्ञता भाव रखे। इनके गुणों को ग्रहण करें तथा निंदा नहीं करें।
पालीताणा संध रवाना, स्टेशन पर वरिष्ठ श्रावक
विजय बांठिया का निधन
बीकानेर, 23 जुलाई। जैनाचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी के 67 वें जन्म दिन पर दर्शन वंदन करने के लिए मंगलवार को गुजरात के पालीताणा तीर्थ के लिए करीब 500 श्रावक-श्राविकाओं का जत्था छह संघपति परिवारों के नेतृत्व में रवाना हुआ। लालगढ़ रेलवे स्टेशन पर संघ के सदस्यों व अपने परिजनों को स्टेशन पर छोडने गए जैन श्वेताम्बर तपागच्छ के वरिष्ठ श्रावक विजय चंद बांठिया का स्टेशन पर ही दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। श्री आत्मानंद जैन सभा के सान्निध्य छह संघपति परिवारों में माणिक चंद शांति लाल सेठिया परिवार, पुष्पादेवी-सुरेन्द्र बद्धाणी, भंवर लाल, सुन्दरलाल, शांति लाल, देवेन्द्र कोचर परिवार, हनुमानदास पन्नालाल सिपानी परिवार, रिखबचंद शांति लाल भंसाली परिवार, और विनोद देवी चन्द्र कुमार कोचर परिवार के नेतृत्व में रवाना हुआ यह जत्था 29 जुलाई को बीकानेर वापस पहुंचेगा।
श्री महावीर इंटरनेशन दिवंगत विजय बांठिया अच्छे व्यवसाई थे, के.ई.एम.रोड पर उन्होंने बीकानेर में सबसे पहले स्कूल ड्रेस ’’राजू ड्रेसेज’’ की दुकान खोली, स्कूली बच्चों को सलीके की पोशाक पहन कर स्कूल जाने का सलीका सिखाया। जैन पब्लिक स्कूल आदि स्थानों पर कक्षा कक्ष का निर्माण करवाया, सर्दियों में शांति निवास वृद्ध आश्रम व झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों में घर परिवार से बेघर लोगों को गर्म कपड़े सुलभ करवाने आदि का कार्य निष्काम भाव से किया। श्री महावीर इंटरनेशनल, भगवान महावीर कल्याण केन्द्र, , जैन पाठशाला सभा व श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ के वरिष्ठ सदस्य थे।