कोलकाता तोलाराम मारू
श्रीडूंगरगढ़ गोरव भामाशाह विभिन्न सामाजिक संस्थाओं में अहम् भूमिका निभाने वाले भीखमचन्द पुगलिया ने 14दिनों की निराहार तपस्या की,। सोमवार को किया पारणा।।
भीखमचन्द पुगलिया का जीवन सामाजिक और आध्यात्मिक संतुलन का सटीक उदाहरण: मुनि जिनेशकुमार ।
हम जिस प्रकार इस बाहरी शरीर को भोजन-पानी-हवा-प्रकाश से पोषण देते हैं उसी प्रकार इस जीवन को चलायमान रखने के लिए इसके अंदर के एक और शरीर को भी पोषित करना जरूरी है और उसके पोषण के लिए त्याग-तप-ध्यान-साधना नितान्त आवश्यक है। यह कहना है 14दिनों तक निराहार तप करने वाले भामाशाह भीखमचन्द पुगलिया का। भामाशाह और राजस्थान गौरव भीखमचन्द पुगलिया द्वारा इस वर्ष 14दिनों की निराहार तपस्या की गई है। रविवार को 14दिन की निराहार तपस्या करने के बाद सोमवार को भीखमचन्द पुगलिया द्वारा पारणा किया गया। तत्पश्चात आचार्य महाश्रमण के शिष्य मुनि जिनेशकुमार के दर्शन किये। मुनि ने भीखमचन्द पुगलिया द्वारा वर्षों से प्रतिवर्ष किये जाने वाले तप की अनुमोदना करते हुए कहा कि पानी-साबुन आदि से बाहरी शरीर की शुद्धि होती है उसी प्रकार तपस्या से व्यक्ति के मन का मालिन्य साफ होता है और आत्मा उज्ज्वल स्थिति को प्राप्त करती है। भीखमचन्द पुगलिया ने अपने जीवन को बहुत ही व्यवस्थित ढंग से संचालित कर रखा है। एक ओर इनके द्वारा पारिवारिक, सामाजिक दायित्त्वों को बखूबी निभाया जा रहा है तो दूसरी ओर आत्मकल्याण के मार्ग पर भी प्रस्थित है। ऐसे व्यक्तित्व औरों के लिए भी प्रेरणादायक होते हैं।
भीखमचन्द पुगलिया की धर्मपत्नी और श्रीडूंगरगढ़ सभा की अध्यक्ष सुशीला पुगलिया ने बताया कि भीखमचन्द पुगलिया द्वारा 1दिन की निराहार तपस्या से लेकर 1महीने तक की निराहार तपस्या का उपक्रम किया जा चुका है। इस बार इन्होंने 14दिन की तपस्या करके पूरे परिवार को तपोमय वातावरण दिया है। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं मे योगदान देने वाले श्रावक
राजू हीरावत जैन ने बताया कि जैन समाज में निराहार तपस्या का अधिक महत्त्व है जिसमें तपस्वी गुरुआज्ञा से तप की श्रृंखला में स्वयं को आगे बढ़ाता है। भीखमचन्द पुगलिया को बचपन से अध्यात्म के प्रति रुचि थी और अपनी माता श्रद्धा की प्रतिमूर्ति श्राविका किरण देवी और पिता श्रद्धानिष्ठ श्रावक धर्मचन्द्र पुगलिया द्वारा भी अध्यात्म के संस्कार और पुष्ट होने पर उन्होंने इसे जीवन में सांगोपांग अपना लिया और वर्तमान में भी उसे अक्षरशः मानते हुए अपने दिन की शुरुआत आध्यात्मिक गतिविधियों के साथ ही करते हैं। भीखमचन्द पुगलिया की तपस्या पर कस्बे सहित समूचे जैन समाज और अन्य समाज तथा स्वजनों के व्यक्तित्त्वों द्वारा शुभकामनाएं प्रेषित की जा रही है। महावीर इन्टरनेशनल श्रीडूंगरगढ़ के पूर्व सचिव तोलाराम मारू ने बताया कि भीखम चंद जी पुगलिया का जीवन हम सबके लिए प्रेरणा दायी है।सरल स्वभाव के हंसमुख रहने वाले भीखम चंद जी सदा हर किसी से आत्मीयता से मिलते-जुलते हैं ।