भैया निवास में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ पूर्ण धार्मिक परंपरा के साथ हुआ। प्रारम्भ में मानेश्वर शिव मंदिर से कथास्थल तक गाजे बाजे के साथ कलश शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें अनेक महिला व पुरषों ने कीर्तन करते हुए शोभायात्रा में भाग लिया।
प्रथम दिवस की कथा में भागवताचार्य डॉ.गोपाल नारायण जी व्यास ने पहले दिन भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है, जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया, वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है। पं.व्यास ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परमहंसों की संहिता है, भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है। यह कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है। यह ग्रंथ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल है। भागवत का अर्थ करते हुए कहा कि भक्ति, ज्ञान व वैराग्य के द्वारा ही जीव का कल्याण संभव है और इसकी पूर्णता के लिए सद्गुरु की शरण को ग्रहण करना चाहिए। मनुष्य के दैहिक व भौतिक तापों को नष्ट करने वाली औऱ जीवन मे ज्ञानमंगल सुख प्रदान करने वाली श्रीमद्भागवत कथा मोक्ष को प्रदान करने वाली है। भागवत कथा मनुष्य को दैविक पुण्य प्रदान करने के साथ निष्काम भक्ति के भाव से जोड़ती है।
इससे पूर्व कथा श्रवण कर रहे मुख्य यजमान कमलादेवी भैया परिवार ने गणेश पूजन व व्यास पूजन किया। पंडित वर्ग में उपेंद्र नारायण व्यास, पं.दिव्यांश नारायण व्यास, पं.कुमारदत्त व्यास, पं.आयुष व्यास ने पूजन कर्म के साथ सुंदर भजनों की प्रस्तुति दी।