बीकानेर, 13 नवंबर। सादुल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट के 80वें स्थापना दिवस के अवसर पर पांडुलिपियों और हस्तलिखित प्राचीन पुस्तकों की दो दिवसीय प्रदर्शनी बुधवार को सम्पन्न हुई। समापन समारोह के मुख्य अतिथि पुरातत्व एवं संग्रहालय के वृत्त अधीक्षक महेन्द्र निम्हल थे। अध्यक्षता वास्तुविद् केके शर्मा ने की। निम्हल ने कहा कि राजस्थानी में लिखित और अप्रकाशित साहित्य प्रचुर मात्रा में है। ऐसी सभी पांडुलिपियों को संरक्षित करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूट द्वारा ऐसे सभी ऐतिहासिक हस्तलिखित ग्रंथों को सुरक्षित रखा है। यह आने वाली पीढ़ी के लिए उपयोगी साबित होगा। वास्तुविद् केके शर्मा ने कहा कि इंटरनेट के युग में संदर्भ के लिए पुस्तकों की उपयोगिता कम हुई है, लेकिन यह ग्रंथ साहित्य साधकों की दशकों की साधना का परिणाम है। इंस्टीट्यूट के सचिव राजेन्द्र जोशी ने बताया कि दो दिवसीय प्रदर्शनी का बड़ी संख्या में लोगों ने अवलोकन किया। उन्होंने संस्था के ऐतिहासिक परिपेक्ष्य के बारे में बताया और कहा कि यह साहित्य शोधार्थियों के लिए उपयोगी है। राजाराम स्वर्णकार ने स्वागत उद्बोधन दिया। राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकाल के पुस्तकालयाध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन अब्दुल शकूर सिसोदिया ने किया। इस दौरान इंस्टीट्यूट सदस्य और वाचनालय के पाठक मौजूद रहे।