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आगम तपोत्सव के समापन पर भक्ति संगीत के साथ 18 अभिषेक महापूजन
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बीकानेर, 28 नवम्बर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वर महाराज आदि ठाणा व साध्वीश्री विजय प्रभा व प्रभंजनाश्रीजी आदि ठाणा के सान्निध्य में गुरुवार को आगम तपोत्सव के समापन पर भक्ति संगीत के साथ 18 अभिषेक महापूजन किया गया।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा ने बताया कि गुरुवार को ढढ्ढा चौक के कोठारी भवन से आचार्यश्री के नेतृत्व में गाजे बाजे के साथ आगम तप के दौरान प्रदत परमात्मा की प्रतिमाओं के साथ अपने घर की प्रतिमाओं को किनार की थाली में लेकर शामिल हुए। जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में 19 दिसंबर को मेड़ता तीर्थ से आसोतरा तीर्थ तक निकलने वाली छः रि पालित यात्रा संघ में शामिल होने वाली वंदनीय पूजनीय भगवान पार्श्वनाथ तथा दादा गुरुदेव की प्रतिमा को एक वाहन में प्रतिष्ठित कर लाया गया। शोभायात्रा में शामिल श्रावक-श्राविकाएं ’’चंदन की दो चौकियां पुष्पन के दो हार केसर भरियो बाटको पूजो नैन कुमार’’ के साथ देव, गुरु व धर्म के नारे लगा रहे थे।
सुगनजी महाराज के उपासरे में जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी महाराज ने स्वयं मंत्रोंच्चारण करते हुए व भक्तिगीत गाते हुए परमात्मा का पंच गव्य, सुगंधि, पुष्प, तीर्थोंदक, केसर चंदन दूध, कर्पूर, केशर पुष्प,सदौषधि आदि से अभिषेक करवाया। मंत्रोच्चारण में मुनि संवेग रतन सागर व भक्ति गीतों में बाल मुनि सहित मुनिवृंद ने भागीदारी निभाई। जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी महाराज ने ’’हर घर मंदिर हो’’, ’’व्हाला आदिनाथ में तो पकड़यों थारो हाथ’’, अर्हम-अर्हम, अर्हम-अर्हम, अर्हम-अर्हम, अर्हम-अर्हम अजब धुन अर्हमनी लागी रे’’ , ’’ पार्श्वनाथ आपके चरणों में वंदना’’, ’’पूजा करने आओ के प्रभुजी दर्शन करने तरसे आखंडली’’ व जैनम जयती शासनम्, अरिहंत मंगलम साहू मंगलम’’ सहित प्रभु भक्ति में लीन करने वाले स्तवन व भजन सुनाकर अभिषेक करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को परमात्म भक्ति से सराबोर रखा। आगम तपोत्सव के समापन व 18 अभिषेक महापूजन में श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ, मंत्री मनीष नाहटा, श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के सदस्य पवन खजांची सहित बड़ी संख्या में तप साधकों ने भागीदारी निभाई।
जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी महाराज के सान्निध्य में भवोदधितरक-शिव सुखकारक ’’श्री 45 आगम तप’’ भगवान श्री नमिनथ जन्म कल्याणक दिवस 28 जुलाई से मणिधारी दादा गुरुदेव जिन चन्द्र सूरि जन्म जयंती 11 सितम्बर 2024 तक आयोजित किया गया। तप के दौरान ढढ्ढा चौक में आगम वाटिका स्थापित की गई जिसमें बैठकर श्रावक-श्राविकाओं ने नियमित आगमों की पूजा व मंत्र जाप किया था। ताड़पत्रों पर हस्तलिखित 45 आगमों की बीकानेर में पहलीबार प्रदर्शन किया गया तथा शोभायात्रा निकाली गई ।

मुनि श्रमण रतन सागर का दीक्षा दिवस
जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी महाराज के सान्निध्य में फलोदी निवासी, चेन्नई प्रवासी मुनि श्रमण रतन सागर महाराज का दीक्षा दिवस ’’ साधु जीवन री जय-जयकार करें’’ आदि भक्ति गीतों के तथा ’’अनुमोदना-अनुमोदना’’ के उद्घोष के साथ मनाया गयां। सहज, सरल स्वभाव के मुनिश्री ने आगम वाटिका की स्थापना, आगम तप शोभायात्रा, तप व जप तथा आगम तपोत्सव में सक्रिय भागीदारी निभाई। मुनि श्रमण रतन सागर के सांसारिक पुत्र नागपुर प्रवासी रूपेश गुलेछा ने बताया कि उनके पिता सांसारिक नाम शांति लाल गुलेछा की दीक्षा केकड़ी में हुई थी। परिवार के तीन दीक्षाएं बालक-बालिकाओं (पड़ पोत्र-पड़ पौत्री)की हो चुकी है। उनके पोत्र व उनकी पत्नी की मुकेश व चार्टर्ड एकाउंटेंट शैफाली दो दीक्षाएं दिसम्बर में पालीताणा में होने से पांच दीक्षाएं हो जाएगी। बचपन से ही जैन समाज में समर्पित रहे मुनि श्री ने सांसारिक जीवन के दौरान अनेक दादाबा़डयों व जिनालयों के विकास में समर्पित भाव से सेवाएं दी। इन्होंने जैन समाज के साथ अपने निजी जीवन में व्यापार, कार्य व्यवहार में भी प्रतिष्ठा हासिल की।
बच्चों का शिविर
रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में गुरुवार को जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी महाराज के सान्निध्य में बच्चों का शिविर आयोजित किया गया। शिविर में मुनि शाश्वत रतन सागर ने बच्चों को जैन धर्म व जैन जीवन शैली की मर्म की बातें बताई। उन्होंने बच्चों के प्रश्नों का भी उतर दिया।
कृतज्ञता समारोह एक दिसम्बर को
रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में रविवार को एक दिसम्बर को सुबह सवा नौ बजे जैनाचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी महाराज, मुनिवृंद व साध्वीवृंद का कृतज्ञता समारोह आयोजित किया जाएगा।

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दिलीप गुप्ता

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