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*हमारी वैचारिक प्रतिबद्धताओं को आकार देता है ‘निबंध’: डॉ. गुप्त*
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*’सृजन संवाद’ के तहत डॉ. गौरी शंकर प्रजापत की पुस्तक ‘निबंध सबरंग’ पर हुई चर्चा*

बीकानेर, 29 नवंबर। ‘सृजन संवाद’ श्रृंखला की दूसरी कड़ी में शुक्रवार को हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गौरीशंकर प्रजापत के निबंध संग्रह ‘निबंध सबरंग’ पर चर्चा की गई।
सूचना केंद्र सभागार में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ आलोचक डॉ. उमाकांत गुप्त थे। उन्होंने कहा कि निबंध हमारी वैचारिक प्रतिबद्धताओं को आकार देता है। उन्होंने कहा कि निबंध सबरंग के सभी नौ निबंध अलग-अलग रंगों के गुलदस्ते की भांति है। इनमें लेखक की परिपक्वता स्पष्ट दिखती है।
अध्यक्षता करते हुए राजेंद्र जोशी ने कहा कि निबंध लेखन सबसे अधिक चुनौती पूर्ण होता है। डॉ. प्रजापत ने लेखकीय दायित्व का बखूबी निर्वहन किया है। उन्होंने कहा कि यह निबंध विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।
राजभाषा संपर्क अधिकारी हरिशंकर आचार्य ने कहा कि ‘सृजन संवाद’ श्रृंखला के तहत प्रतिमा हिंदी की अलग-अलग विधाओं की पुस्तक पर चर्चा की जाती है। उन्होंने राजभाषा संपर्क अधिकारी के कार्यों और दायित्वों के बारे में बताया।
डॉ. गौरी शंकर प्रजापत ने कहा कि ‘निबंध सबरंग’ में निबंध लेखन के सभी पहलुओं को संकलित करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने विभिन्न निबंधों के अंशों का वाचन किया।
डॉ. समीक्षा व्यास ने पुस्तक पर पत्र वाचन किया। उन्होंने सभी निबंधों की विशेषताओं के बारे में बताया।
इस दौरान वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा, भंवरलाल भ्रमर, डॉ. फारूक चौहान, जुगल पुरोहित, अब्दुल शकूर सिसोदिया, डॉ. अजय जोशी, सहायक जनसंपर्क अधिकारी निकिता भाटी ने पुस्तक के विभिन्न पहलुओं पर विचार रखे। राजाराम स्वर्णकार ने स्वागत उद्बोधन दिया। डॉ. प्रशांत बिस्सा ने आभार जताया।

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दिलीप गुप्ता

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