स्वर्णकला के आदि महापुरुष महाराज अजमीढ़ जी की जयंती पर कलाकार भूरमल सोनी ने ख़ून से आदि पुरुष का चित्र बनाकर मनाई। स्वर्ण कला की शुरुआत अजमीढ़ जी महाराज द्वारा की गई थी। इस कारण स्वर्णकार जाति इनको अपना ईस्ट देव मानते आ रहे है।पुराणों में वर्णित चंद्रवंश की अठाईसवी नामावली के अनुसार चन्द्रवंशीय क्षत्रिय महाराजा अजमीढ़ की जयंती आश्विन शुक्ल शरद पूर्णिमा के दिन हर साल मैढ़ स्वर्णकार समाज अपने महापुरुष की जयंती पूजा -अर्चना, माल्यार्पण झांकीया आदि निकालकर पूरे देश पीढ़ी दर पीढ़ी धूमधाम से मनाते आ रहे है। स्वर्णकार समाज अपने व्यवसाय एवं मांगलिक कार्यों की शुरुआत आदि पितृ पुरुष अजमीढ़ देवजी का स्मरणकर पूजा अर्चना के साथ करते हैं।