नगर निगम में नियमों और कानूनों के खिलाफ काम कर रहे आयोग गोपालराम बिरड़ा के खिलाफ महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित हर स्तर पर नियम कायदों के साथ डटकर मुकाबला कर रही है। महापौर के भेजे पत्रों के आधार पर स्वायत्त शासन विभाग सतर्कता शाखा से 6 प्रकरणों में आयुक्त पर जांच चल रही है।
ताजा प्रकरण ट्रैक्टर ट्रॉली टेंडर से जुड़ा है। इस टेंडर में पहले आयुक्त द्वारा नियम विरुद्ध बिना महापौर की स्वीकृति के टेंडर निरस्त कर दिया गया। महापौर द्वारा संज्ञान लेने पर आनन-फानन में आयुक्त ने टेंडर बहाल कर दिया। जबकि आरटीपीपी एक्ट के अनुसार एक बार निरस्त किया गया टेंडर पुनः बहाल नहीं किया जा सकता। टेंडर बहाल करने के बाद आयुक्त गोपाल राम बिरड़ा द्वारा बिना L1 की लिखित असमर्थता के L2 तथा L3 को कार्य करने हेतु लिखा गया। L2 तथा L3 द्वारा असमर्थता जताने पर आयुक्त द्वारा नियमों के खिलाफ तीनों फर्मों की अमानत राशि जप्त कर ब्लैक लिस्ट कर दिया गया।
आयुक्त द्वारा बिना महापौर की स्वीकृति दोबारा टेंडर जारी कर दिया गया ।जिस पर महापौर द्वारा नए टेंडर को निरस्त करने के आदेश दिए गए। आयुक्त ने महापौर के आदेश को दरकिनार कर टेंडर प्रक्रिया जारी रखी। इस पूरे प्रकरण को लेकर महापौर 22 जुलाई को जयपुर निदेशालय पहुंची थी ।प्रकरण में पीड़ित फर्म ने भी न्याय के लिए डीएलबी का दरवाजा खटखटाया।
पूरे प्रकरण पर संज्ञान लेते हुए निदेशालय द्वारा टेंडर प्रक्रिया में फर्मों पर नियमों के खिलाफ हुई कार्यवाही पर स्थगन आदेश जारी करते हुए बिना महापौर की स्वीकृति जारी हुए नए टेंडर को भी निरस्त कर दिया है।
महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित द्वारा डीएलबी के समक्ष रखे गए नियमों और तथ्यों के आधार पर इस क्रम में जारी समस्त प्रक्रिया को डीएलबी द्वारा अविलंब रोकने के आदेश जारी किए गए हैं। इस आदेश के अधीन हाल ही में जारी नए टेंडर पर भी रोक लगा दी गई है ।गौरतलब है कि पूर्व में नियम के विपरीत निरस्त किए गए टेंडर में महापौर ने भी यही तर्क दिया था की निरस्त किया गया टेंडर पुनः बहाल नहीं किया जा सकता।