
“आचार्य श्री महाश्रमण पट्टोत्सव” विशेष
# सद्गुरु शरणं अमृत चरणं #
ः काव्य पाठ : मोहन भन्साली
“सद्गुरु शरणं अमृत चरणं”तुम्हें शीष नमाऊं!
नेमा नन्दन! युगप्रधान! मैं तेरा ध्यान ध्याऊं!!
बाल मोहन पर वैराग्य की पुण्याई प्रबल छाई,
मुनि मुदित पर तुलसी ने वात्सल्यता बरसाई,
महाश्रमण अलंकरण से जनता जनार्दन हर्षाई,
महाप्रज्ञ जी ने महातपस्वी को चादर ओढ़ाई।
“सद्गुरु शरणं अमृत चरणं”तुम्हें शीष नमाऊं!
नेमा नन्दन! युगप्रधान! मैं तेरा ध्यान ध्याऊं!!
धवल सेनानायक!मरुधरा से ली अंगड़ाई,
थरथराती विश्वधरा पर धर्म की लौ जगाई,
मानवता में सत्य अहिंसा की ज्योत जलाई,
ज्योतिपुंज!संयमित जीवनशैली दिखलाई।
“सद्गुरु शरणं अमृत चरणं”तुम्हें शीष नमाऊं!
नेमा नन्दन! युगप्रधान! मैं तेरा ध्यान ध्याऊं!!
तुम्हारी निर्मल बुद्धिमता से प्रज्ञा धन्य हुई,
कांक्षा विमुक्त साधना से तृष्णा विरक्त हुई,
घोर परिषहों में समभावों से जय विजय हुई,
धीर-गंभीर की उदारता से संघ प्रभावना हुई।
“सद्गुरु शरणं अमृत चरणं”तुम्हें शीष नमाऊं!
नेमा नन्दन! युगप्रधान! मैं तेरा ध्यान ध्याऊं!!
राग-द्वेष मुक्त चेतना की मशाल तुम्हारी,
मोह माया और लोभ रहित दृष्टि तुम्हारी,
“आगम भगवत गीता” समावेश बुक तुम्हारी,
व्यक्तित्व निर्माण में पुरुषार्थ की राह तुम्हारी।
“सद्गुरु शरणं अमृत चरणं”तुम्हें शीष नमाऊं!
नेमा नन्दन! युगप्रधान! मैं तेरा ध्यान ध्याऊं!!
मधुरी मधुरी हथिनी चाल तुम्हारी,
जीवन रुपांतरित शिक्षा दीक्षा तुम्हारी,
शास्त्र सम्मत अमृत उपदेशना तुम्हारी,
अशांत विश्व को करुणा की सीख तुम्हारी।।
“सद्गुरु शरणं अमृत चरणं”तुम्हें शीष नमाऊं!
नेमा नन्दन! युगप्रधान! मैं तेरा ध्यान ध्याऊं!!
$$ सादर चरणों में समर्पित $$
रचनाकार::
मोहनलाल भन्साली “कलाकार”
गंगाशहर! राजस्थान
मो. 7734968551
दिनांक:: 18.05.2024
————- ऊँ अर्हंम् ————