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महावीर कॉलेज फॉर बैसिक नॉलेज शिविर में मित्रता पर विशेष व्याख्यान आगम व स्नात्र व नाल दादाबाड़ी में पूजा
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महावीर कॉलेज फॉर बैसिक नॉलेज शिविर में मित्रता पर
विशेष व्याख्यान आगम व स्नात्र व नाल दादाबाड़ी में पूजा
बीकानेर, 4 अगस्त। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरिश्वरजी के सान्निध्य में रविवार को ढढ्ढा चौक की आगम वाटिका में ज्ञान वाटिका के बच्चों व श्रावक श्राविकाओं ने भक्ति संगीत के साथ स्नात्र पूजा अंतगड़ दशांक सूत्र की आराधना मंत्र जाप के साथ की । दो स्थानों पर महावीर कॉलेज फॉर बेसिक नॉलेज शिविर आयोजित किया गया तथा नाल दादाबाड़ी में भक्ति संगीत के साथ पूजा की गई।
प्रवचन पांडाल में महावीर कॉलेज फॉर बेसिक नॉलेज शिविर में मुख्य वक्ता बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर ने धारा प्रवाह करीब ढाई घंटे जैन धर्म व फ्रेण्डस शिप डे पर विशेष व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि मोबाईल, इस्टाग्राफ व फेसबुक व अन्य तरह से बनने वाले कुमित्र व दूसरी जाति व धर्म के मतलबी व स्वार्थपूर्ति के मित्रों से दूर रहे। अपने सुगुरु, माता-पिता, पति पत्नी को व पत्नी पति को गुरु बनाकर बुराइयों से बचें तथा अपने धर्म का पालन करें।
उन्होंने कहा कि मित्र 7 तरह के होते है मवाली, गाली, ताली, थाली, प्याली, खाली व माली यानि कल्याण मित्र।  कल्याण मित्र ही अपने दोस्त का हित चिंतन करता है तथा उसे बुराइयों,कठिनाइयों से बचाता है। दुःख व विपरीत परिस्थिति में सम्बल प्रदान करता है, हिम्मत नहीं टूटने देता है। सुख-दुख की प्रत्येक परिस्थिति में सहयोग व हौसला देता है।  वर्तमान में फ्रेण्डसशिप पर अनेक तरह के पाश्चात्य चौंचलों से बाल व युवा पीढ़ी मित्र के नाम पर दिशाहीन हो रही है, उस पर नियंत्रण जरूरी है। आचार्यश्री हरिभद्र सूरी के पांच सूत्र का स्मरण दिलाते हुए कहा कि अच्छे संस्कार, सद्गुणों वाले कल्याण मित्र अहित मार्ग पर रोकते है तथा हित के मार्ग पर बढ़ने के लिए प्रेरित करते है। रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में  शिविर में मुनिवृंद ने बच्चों को हिंसात्मक, मारधाड़ वो गेम मोबाइल में नहीं खेलने, छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर अहिंसा धर्म का पालन करने, नियमित मंदिर में दर्शन, वंदन करने की सीख दी। प्रभावना का लाभ चार्टेड एकाउंटेंट राजेन्द्र, कृष्ण लूणिया परिवार ने लिया।
नाल दादाबाड़ी में दादा गुरुदेव जिन कुशल सूरी की भक्ति संगीत के साथ पूजा मुनिवृंद के सान्निध्य में सुश्रावक कन्हैयालाल महावीर नाहटा, नमन नाहटा परिवार की पूजा करवाई गई। पूजा में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने हिस्सा लिया। दादा गुरु के इक्कतीसे का पाठ किया गया तथा स्तुति व भक्ति गीत प्रस्तुत किए गए। 
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मुनि पुष्पेन्द्र विजय व श्रुतानंद विजय के सान्निय
में 18 पाप स्थानकों की मुक्ति की संगीतमय पूजा
बीकानेर, 4 अगस्त। रांगड़ी चौक की तपागच्छीय पौषधशाला में मुनि पुष्पेन्द्र विजय मुनि श्रुतानंद विजय के सान्निध्य में रविवार को भक्ति संगीत के साथ अट्ठारह पाप स्थानक मुक्ति की पूजा भक्ति संगीत के साथ की गई। पूजा व स्वामी वत्सल का लाभ सुश्राविका पुष्पादेवी, सुरेन्द्र बद्धाणी जैन परिवार ने लिया। मुनिवृंद ने अट्ठारह पापों में प्राणातिपाप, मृषावाद, अदत्तादान मैथुन, परिग्रह, क्रोध,मान माया, लोभ राग, द्वेष कलह, अभ्याख्यान, पैशून्य रति-अरति, परिवाद, माया मृषावाद व मिथ्यात्व शल्य पाप के कारण व उससे बचने के उपायों की विस्तृत जानकारी दी तथा श्रावक-श्राविकाओं को  इन पाप स्थानों से जीवन में जिस किसी पाप का सेवन किया है, या करवाया है, अनुमोदन किया हो उन सबका मन, वचन व काया से क्षमापना व मुक्ति की प्रार्थना करवाई।


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Gordhan Soni

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