श्रीमती निर्मला ने अपनी बेटी रेखा से पूछा तुझे राम जैसा भाई चाहिए तो रेखा ने उत्तर दिया नहीं मां मुझे तो रावण जैसा भाई चाहिए जिसने अपनी बहन की आन बान और शान को अक्षुण्ण रखने के लिए ईश्वर के अवतार राम से युद्ध कर लिया और यह जानते हुए भी उसका अंत इसी योद्धा के हाथों लिखा है ।
अपने प्राणों की परवाह नहीं की ; शायद यही भावना कलयुग की रावण परिवार आहूजा परिवार को लगभग 65 साल हो गए हैं और यही भावना प्रेरित कर रही है; लगातार तीन पीढियां से बीकानेर की प्रमुख दशहरा कमेटी के सचेतन झांकियां में उसके साथ रावण की मुक्त हंसी नजर आ रहे हैं यह परंपरा आहूजा परिवार के दादा की मदद की आहूजा से प्रारंभ हुई उन्होंने 20 वर्ष तक सतत रावण का अभिनय दशहरा की सचेतन झाकीयों में किया इसके बाद 25 सालों तक पूर्व आयकर अधिकारी शिवाजी आहूजा ने निभाया अब
पिछले 22 सालों से वरिष्ठ एंकर और पत्रकार के कुमार आहूजा रावण के रथ में सवार होकर हाथ में टॉफी बिस्कुट के साथ धनुष बाण तीर लेकर एक तरफ राम को ललकारते नजर आते हैं तो वहीं दूसरी तरफ इनसे डरते बच्चों को ट्रॉफी बाटते हैं उनकी पत्नी कांता आहूजा को लोग मंदोदरी भाभी के नाम से जानते हैं और वह इसके लिए गर्व का विषय भी है कि लोगों ने कान्ता के स्थान पर मंदोदरी भाभी कहते हैं।