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राती घाटी युद्ध के हुतात्माओं को भावभीनी श्रद्धांजली
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आज राती घाटी युद्ध के 491 वें विजय दिवस पर श्री लक्ष्मीनाथ जी मंदिर में हुतात्माओं को भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित की गई। सर्वप्रथम पंडित ओम नारायण श्रीमाली और चामुंडा मंदिर के पुजारी श्यामसुंदर देराश्री ने वेद मंत्रों से युद्ध प्रोक्षण स्थल का पूजन और किया। युवा श्री रामरतन देराश्री ने मां चामुंडा द्वारा महिषासुर वध की दुर्गास्तुति का मेघ गंभीर स्वरों में ओजस्वी वाचन कर भीषण युद्ध का दृश्य उपस्थित कर दिया।
समिति के श्री जानकी नारायण श्रीमाली ने कहा यही वह पवित्र धरती है, जहां भारत की सीमाओं की रक्षा के लिए हमारे हजारों पुरखों ने बलिदान दिया। राव जैतसी ने दुर्ग पति भोजराज रुपावत, महेश दास सांखला, दीवान और जैतुंग भाटियों सहित केवल पच्चीस सौ योद्धाओं को दुर्ग की रक्षा का भार सौंप कर स्वयं सेना के मुख्य भाग के साथ बीकानेर नगर छोड़ मिगसर कृष्णा पंचमी स. 1591 शनिवार को गजनी और लाहौर के शासक कामरां ने दिनभर के भीषण युद्ध के बाद विजय प्राप्त कर दुर्ग में प्रवेश किया। कुछ मरणासन्न घायलों को छोड़कर शेष सभी पच्चीस सौ योद्धाओं ने मातृभूमि की रक्षा के लिया अपने प्राणों की आहुति दी। उन्हीं हुतात्माओं को आज हम पुष्पांजली अर्पित कर रहे है।
इस अवसर पर सर्व श्री कैलाशचंद्र, मनोज सोलंकी, विजय बागड़ी, बुलाकीदास गोविंद नारिया श्रीमाली ने पुष्पांजली अर्पित की। सर्व श्री भंवर सिंह बीका, तेजमाल सिंह राठौड़ टांट, प्रदीप सिंह चौहान, भीम सिंह राजपुरोहित, मदन मोदी, आलोक अग्रवाल, आदि ने भाव श्रद्धांजली अर्पित की।
राती घाटी के जयघोष पूर्वक मां चामुंडा और लक्ष्मीनाथ जी के सामूहिक दर्शन किए।
ओम नारायण श्रीमाली
महामंत्री
राती घाटी समिति

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दिलीप गुप्ता

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