
बीकानेर, 30 मई। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा खरीफ-पूर्व अभियान के तहत “विकसित कृषि संकल्प अभियान” कार्यक्रम का आयोजन 29 मई से 12 जून, 2025 के मध्य किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सोच ‘प्रयोगशाला से खेत तक’ के विजन को साकार करने के उद्देश्य से यह अभियान आयोजित किए जा रहे हैं। संयुक्त निदेशक (कृषि) श्री कैलाश चौधरी ने बताया कि इसी क्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र व कृषि विभाग मिलकर चार टीमों के माध्यम से 180 गांवों पर अभियान का आयोजन कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों व कृषि अधिकारियों ने दो दिन में 24 ग्राम पंचायत में 6 हजार 214 किसानों से सीधा संवाद किया। प्रत्येक टीम में कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (काजरी, केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, उष्ट्र व घोड़ा अनुसंधान केन्द्र, भेड़ एवं बकरी अनुसंधान केन्द्र, दाल व मूंगफली अनुसंधान केन्द्र) स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय वैज्ञानिक, कृषि उद्यान अधिकारी व नवाचारी किसान संयुक्त टीम के रूप में अभियान में ग्राम-ग्राम जा रहे है। कृषि विज्ञान केन्द्र बीकानेर टीम एक का नेतृत्व डॉ मदनलाल रेगर, टीम दो का नेतृत्व डॉ केशव मेहरा कर रहे हैं। वहीं कृषि विज्ञान केन्द्र लुणकरनसर टीम एक का नेतृत्व डॉ आर के सिवरान, टीम दो का नेतृत्व डॉ भगवत सिंह कर रहे हैं।
अभियान के आयोजन का उद्देश्य है कि क्षेत्र विशेष के लिए खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों से सम्बंधित आधुनिक तकनीकों के बारे में किसानों को जागरूक किया जाए। किसानों के लिए उपयोगी विभिन्न सरकारी एवं विभागीय योजनाओं तथा नीतियों के बारे में किसानों को जागरूक करना। किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड में सुझायी गयी विभिन्न फसलों के चयन तथा संतुलित उर्वरक एवं खाद इत्यादि के प्रयोग के लिए जागरूक एवं शिक्षित करना। किसानों से फीडबैक लेना जिससे की उनके द्वारा किए गए नवाचार के बारे में वैज्ञानिक सीख सकें एवं उसके अनुसार अनुसंधान की दिशा का निर्धारण करना।
*विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान इन मुख्य बिन्दुओं पर किसानों से हो रही है चर्चा*
सहायक निदेशक कृषि उद्यानिकी मुकेश गहलोत ने बताया कि किसानों को उन्नत तकनीकों, नई किस्मों और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक किया जा रहा है। उत्पादकता वृद्धि के मूल मंत्र यथा समय पर बुवाई, प्रमाणित / उन्नत बीज का उपयोग, बीजोपचार, मिट्टी की जांच के आधार पर संतुलित उर्वरक प्रयोग, गर्मी में खेत की गहरी जुताई, उचित बीज दर एवं फसल की कतार में बुवाई, दलहनी/तिलहनी फसलों में जिप्सम का उपयोग, फव्वारा/ड्रिप/पाईप लाईन का उपयोग, फसल की कान्तिक अवस्थाओं पर सिचांई, मित्र कीटों का संरक्षण, फसल बीमा, उन्नत कृषि यंत्रों का उपयोग इत्यादि के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु व्यापक प्रचार प्रसार किया जा रहा है। किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड में सुझायी गयी विभिन्न फसलों में संतुलित तत्व के प्रयोग के लिए जागरूक एवं शिक्षित किया जा रहा है। कृषि-ड्रोन प्रौद्योगिकी का प्रदर्शनः केवीके संस्थान और इफको, द्वारा कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी का उपयोग पर प्रदर्शन आयोजित करवाया जा रहा है। अभियान में क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व कृषकों की सक्रिय भागीदारी के साथ अभियान का सफल आयोजन सुनिश्चित किया जा रहा है।