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जैनमुनि श्रुतानंद महाराज ‘प्रखर प्रवचनकार’ अलंकरण से विभूषितभगवान महावीर का जन्मवांचन में उतारे 14 स्वप्न
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बीकानेर, 4 सितंबर । रांगड़ी चौक स्थित पौषधशाला मे सुबह 9 बजे से शुरू हुए चातुर्मासीय आयोजन में गच्छाधिपति नित्यानंद सुरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न जैन मुनि श्रृतानंद म. सा. ने श्रावक श्राविकाओं को प्रवचन दिए। शुरूआत जैन ग्रंथो मे उल्लेखित प्राथनाओं और प्रभु भक्ति की व्याख्या भगवान महावीर का जन्म वांचन करते हुए की। जन्म वाचन के साथ माता त्रिशला के 14 शुभ मंगलकारी सपनों को भी उतारा गया जिसके हर सपने को उतारने के लिये भक्त परिवार लाभार्थी भी बने।

जैनमुनि श्रृतानंद ने दृष्टांतों के माध्यम से रानी के पहले स्वप्न में एक अति विशाल श्वेत हाथी, दूसरा स्वप्न में श्वेत वृषभ, तीसरा स्वप्न में श्वेत वर्ण और लाल अयालों वाला सिंह, चौथा स्वप्न- कमलासन लक्ष्मी का अभिषेक करते हुए दो हाथी, पांचवां स्वप्न-दो सुगंधित पुष्पमालाएं, छठे स्वप्न-पूर्ण चंद्रमा, सातवां स्वप्न-उदय होता सूर्य, आठवें स्वप्न में कमल पत्रों के ढंके हुए दो स्वर्ण कलश, नौवें स्वप्न में कमल सरोवर में क्रीड़ा करती दो मछलियां, दसवें स्वप्न में कमलों से भरा जलाशय, ग्यारहवें स्वप्न में हीरे-मोती और रत्नजड़ित स्वर्ण सिंहासन, बारहवें स्वप्न में स्वर्ग का दिव्यविमान, चौदहवें स्वप्न मे पृथ्वी को भेद कर निकलता नागों के राजा नागेंद्र का विमान, पन्द्रहवें स्वप्न में रत्नों का ढेर, सोलहवें स्वप्न में धुआंरहित अग्नि के बारे मे समझाया।


प्रवचन के दौरान आत्मानंद चातुर्मास जैन सभा द्वारा श्रुतानंद महाराज म सा को ‘प्रखर प्रवचनकार’ पद से अलकृंत किया।

अलंकरण की भूमिका सुरेन्द्र बद्धाणी ने करते हुए कहा कि श्रृतानंद म सा द्वारा 200 श्रावक श्राविकाओं के साथ ही प्रवचन शुरू किया लेकिन ओजस्वी वाणी में ग्रंथोनुसार प्रवचन की चहुंओर कीर्ती से आज 800 से अधिक श्रोता पौषधशाला मे नियमित आते है और भक्ति ज्ञान श्रवण करते है। अलंकरण का वाचन शांतिलाल कोचर हनूजी के द्वारा किया तथा शांति लाल सेठिया, शांतिलाल कोचर, सुरेंद्र बधानी, शांति लाल भंसाली, विनोद देवी कोचर, अजय बैद, लीलम सिपाणी द्वारा ‘प्रखर अलंकरण’ गुरु को सौंपा गया।
इससे पूर्व महावीर स्वामी के माता त्रिशला द्वारा लिये चौदह स्वप्न व माता त्रिशला तथा चंवर झुलाए गए जिसका अलग अलग परिवारों ने बोली लेने का लाभ लिया। सभी बोली लाभार्थी परिवारों की अनुमोदना तथा बहुमान किया गया।

संगीतमयी प्रस्तुतियों के बीच श्रावक श्राविकाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हुवे स्वप्न उतारने का लाभ लिया। कोचर मंडल द्वारा महावीर प्रभु आयेंगे तो भाग खुल जाएंगे, दाता आयेंगे, मेरी झोपडी के भाग खुल जाएंगे की संगीतमयी प्रस्तुती दी।
मुनि पुष्पेंद्र म सा द्वारा जैसे ही भगवान महावीरजी के जन्मवांचन का सूत्र बोला तो पौषधशाला मे उपस्थित सभी श्रावको श्राविकाओं ने थालिया बजाई, हर्षोल्लास में झूमने नाचने गाने लगे और खूब आनंद मंगल में गीतकार महेन्द्र जैन द्वारा घोषित जयकारों से क्षत्रिय कुल में बधाई, नगरी में वीर भद्र हुवे और त्रिशलानंद वीर की, जय बोलो महावीर की के जयकारें लगाते रहे।
चातुर्मास समिति के सुरेंद्र बद्धनी जैन ने बताया की प्रवचन के बाद कोचर मंडल द्वारा श्रीकल्पसूत्र को कोचरों के चैक स्थित मणिभद्र मंदिर में संध्या आयोजित होने भजन संध्या के लिए गाजे बाजे लेकर गए। जन्मवांचन के दौरान श्रावक श्राविकाओं ने श्रीकल्पसूत्र पर केशर चावल से तथा सफेद चावल से गुरूजनों का वधावना कीया। प्रवचन के अंत में मुनि पुष्पेंद्र द्वारा पच्चखान दिया गया।

मंदिर श्री पदम प्रभूजी ट्रस्ट के अजय बेद ने बताया की सूरज भवन मंदिर टेस्ट व सकल सकल संघ द्वारा स्वामी वत्सल का आयोजन किया गया तथा प्रभु का पालना झूमते नाचते हुवे कोचर फ्रेंड्स क्लब द्वारा लाया गया ।

जैन मुनि श्रृतानंद म सा के दीक्षा के 15वें साल में प्रवेश करने पर 15000 रुपए पुष्पा देवी सुरेंद्र बद्धानी परिवार द्वारा ज्योति कोचर के जीव दया फाउंडेशन को सेवा कार्य हेतु दिया।
आज की प्रभावना तथा संघ पूजा श्रीफल नगद राशि से मानकचन्द, चंद्रकुमार कोचर तथा कोचर क्लब द्वारा की गई।
शांति विजय सेवा समिति द्वारा गुरुदेव का महापूजन व सकल श्री संघ का साधर्मिक स्वामी वात्सल्य 21 सितंबर शनिवार को कला मंदिर में आयोजित होगा।

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Prakash Samsukha

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