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आस्था और भक्ति का जज्बा दंडवत करते हुए देशनोक करणीमाता मंदिर में हाजरी लगाने जा रहे है अनिल धुपड़ (सोनी)
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बीकानेर, 22 सितम्बर। गंगाशहर के अनिल धुपड़ (सोनी) लगातार चौथे वर्ष देशनोक के छह शताब्दी प्राचीन करणी माता के मंदिर में हाजरी लगाने के लिए दंडवत करते हुए मार्ग पर चल रहे है। गंगाशहर से 16 सितम्बर को रवाना हुए अनिल धुपड़ प्रतिदिन 2 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 4 अक्टूबर को दूसरे नवरात्रा के दिन करणी माता के मंदिर में धोक लगाएंगे।
मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णगार समाज गंगाशहर व बीकानेर बाबो भली करें, फ्रेण्डस सेवा संस्थान, के साथ पांच दर्जन युवाओं की टीम मार्ग में निकलने आम राहगिर व देवी के भक्त दंडवत यात्रा करने वाले अनिल धुपड़ के सड़क पर बिछावन करने की सेवाएं कर रहे है। देवी की आरती, भ्ज्ञोग व भजनों के कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी निभा रहे है। दंडवत यात्री के साथ अखंड जोत के साथ करणीमाता का एक वाहन में मंदिर, डीजे, जनरेटर व सेवादारों की खिदमत के लिए रसोइयों की टीम चल रही है।
दंडवत यात्रा करने वाले अनिल धुपड़ ने बताया कि 2021 में पहली बार दंडवत यात्रा की । देवी मां ने शारीरिक, मानसिक व आर्थिक सम्बल दिया चौथी दंडवत फेरी लगाने देशनोक जा रहे है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन सुबह एक किलोमीटर व शाम को एक किलोमीटर की दंडवत यात्रा हो पाती है। दंडवत यात्रा के साथ चल रहे करणी माता के चल मंदिर में सुबह स्तुति, वंदना व भक्ति गीतों के साथ यात्रा शुरू करते है। यात्रा के पड़ाव स्थल पर डीजे के साथ लोग देवी के भक्ति गीतों के साथ नृत्य करते है वहीं बीकानेर, गंगाशहर के कलाकारों का दल पड़ाव स्थल पर भजन, स्तुतियां व करणीमाता की चिरजां को सुनाकर यात्रा को भक्तिमय बनाए रखते है। देवी भक्तों की हौसला अफजाई व माताजी के आशीर्वाछ व कृपा से थकावट महसूस नहीं होती। हर कदम पर मन मंदिर में करणीमाता के विराजने की अनुभूति होती है।
दंडवत यात्रा के दौरान गंगाशहर के बाबो भली करें प्रतिष्ठान के संयोजक जय किशन रोडा, मोहित, निखिल रोडा सोनी, फ्रेण्डस क्लब सेवा संस्थान के पदाधिकारियों यात्रा के मार्ग पर उदयरामसर बाई पास से आगे पहुंचकर दंडवत यात्री का अभिनंदन किया तथा निष्काम भाव से सेवा कर रहे कार्यकर्ता मदन लावट, लक्ष्मीनारायण लावट, द्वारका प्रसाद धुपड़ सहित अनेक कार्यकर्ताओं का सत्कार किया। इसके अलावा विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए 50 से अधिक युवाओं की टीमें गठित की गई है। इनमें जय किशन रोडा, लक्ष्मी नारायणा लावट, अशोक धुपड़, मदन गोपाल लावट, मोहित रोडा, द्वारका प्रसाद धुपड़, श्रीराम सिंधवालिया, अजय गोपाल लावट, पंकज पाणेचा (गजानंद टी.एच.), लक्की गहलोत, नव रतन सोलंकी, (जय ध्वजाबंध धारी), वीरेन्द्र सेन (गुरुकृपा के), जय किशन मांडण, श्रीकृष्ण मांडण, संतोष जोशी, पीयूष लावट, निखिल रोड़ा बीरबल चौधरी, राजा सोलंकी, व श्रीगोपाल लावट आदि शामिल है।
दंडवत करते हुए देशनोक की 27 किलोमीटर की यात्रा 20 दिन में पूरी करने वाले कैलाश धुपड़ ने बताया कि 16 सितम्बर को परिजनों, देवी भक्तों व शुभचिंतकों ने गाजे बाजे से ’’करणीमात की जय’’ आदि के नारे लगाते हुए गाजे बाजे के साथ मंगल भावना के साथ रवाना किया। भक्ति के साथ शक्ति देवी के क्षरा देने से दंड यात्रा में आनंद की अनुभूति होती है। दंड यात्रा आत्म प्रेरणा व देवी कृपा से कर रहे है। कोई मनोकामना, लौकिक वस्तुओं की प्राप्ति की इच्छा के बिना आत्म प्रेरणा से यात्रा कर रहे है। देवी देवता अलौकिक शक्ति से चराचर जगत के प्राणियों के रोम रोम व भाव से वाकिफ रहते है। भाव से भगवान मिलते है। मेरे भाव ही देवी भक्ति के प्रति जागृत होने से दंडवत यात्रा कर रहे है। लोग रास्ते में ’’जय माताजी’’ कहते है, साथ व सहयोगी करणी माता की यात्रा में शामिल होते है, भजन गाते है, सेवा करते है तब हौसले में चार चांद लग जाते है।

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दिलीप गुप्ता

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