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राजस्थानी भाषा की मान्यता एवं राजभाषा बनाने की लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार से करूंगा बात। :- अर्जुनराम मेघवाल
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राजस्थानी मोट्यार परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने हमारी मातृभाषा राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता एवं प्रदेश की राजभाषा बनाने के लिए केन्द्रीय कानून मंत्री श्री अर्जुनराम जी मेघवाल के दिल्ली आवास पर मुलाकात कर मंत्री महोदय को लगातार चौथी बार सांसद बनने एवं पुनः कानून मंत्री बनने की बधाई दी एवं हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया। राजस्थानी भाषा समर्थकों के जय राजस्थानी के नारे सुनकर माननीय मंत्री महोदय ने खुशी व्यक्त की। राजस्थानी मोट्यार परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने माननीय कानून मंत्रीजी को राजस्थान में भाजपा की सरकार गठन के बाद राजस्थानी भाषा को प्रदेश की राजभाषा बनाने का वादा याद दिलाया एवं राजस्थानी भाषा की मान्यता एवं राजभाषा बनाने की मांग को केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार तक पुरजोर तरीके से पहुंचाने की मांग की।
माननीय मंत्री महोदय ने बताया कि हमारी केन्द्र एवं राज्य सरकार राजस्थानी भाषा की मान्यता एवं विकास को लेकर अत्यंत गंभीर है, मैं स्वयं माननीय मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा से बात करूंगा, ताकि जल्द ही राजस्थानी भाषा को प्रदेश की राजभाषा का दर्जा मिले ताकि राजस्थान के युवाओं को रोजगार के लिए अधिक से अधिक अवसर मिले।
राजस्थानी मोट्यार परिषद के प्रदेश सचिव प्रशान्त जैन ने बताया कि:-
*”राजस्थान सरकार को राजस्थान भाषा एक्ट, 1956 में संसोधन कर हिन्दी के साथ राजस्थानी को शामिल करना चाहिए, यह हम सभी राजस्थान-वासियों का अधिकार है। जिससे सभी राजस्थान के युवाओं को नोकरियों में रोजगार के और अधिक अवसर प्राप्त होंगे एवं नोकरियों में बाहरी कोटा हमारी मातृभाषा राजस्थानी द्वारा स्वयं ही तय हो जायेगा”।*

राजस्थान छात्र संघर्ष समिति के प्रदेश सचिव रूणेचा राम ने बताया कि:-
*”प्रदेश में राजस्थानी राजभाषा एक्ट लागू होने से लाखों युवाओं के लिए रोजगार सर्जन होगा। प्रदेश में डबल इंजन की सरकार से जनता को भरोसा है कि उनकी मातृ भाषा को इसी विधान सभा सत्र में राजभाषा बनने का सम्मान मिलेगा”।*

राजस्थानी मातृभाषा जनजागृति की इस दिल्ली यात्रा में राजस्थानी मोट्यार परिषद के प्रतिनिधिमंडल में प्रशान्त जैन, रूणेचाराम, राजदीप इंदा, भरत सेन आदि भाषा-प्रेमी शामिल थे।

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