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गलत के खिलाफ आवाज उठाई तो पार्षद के वार्ड में निकाली विकास कार्य निविदा ही कर दी निरस्त
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बीकानेर। एक ओर तो शहर में विकास के दावे किये जा रहे है। वहीं दूसरी ओर लगाएं गये विकास कार्य की निविदा को ही निरस्त कर क्षेत्रवासियों को उनके हक से महरूम किया जा रहा है। ऐसा ही वार्ड 35 के वांशिदों के साथ हुआ है। जहां आधार अधूरा कार्य कर नगर विकास न्यास ने इस क्षेत्र की जनता को पीड़ा भोगने के लिये छोड़ दिया है। बताया जा रहा है कि सादुलगंज युगांतर स्कूल के आगे सड़क के दोनों ओर सीसी रोड़ निर्माण के लिये एक मार्च को 36 लाख 73 हजार निविदा निकाली। 13 मार्च को निविदा खोली रोड़ का कार्य पूरा करने का समय 3 माह तय किया। पर निर्माण कार्य 21 मई को शुरू हुआ। जिसमें एक तरफ की तो सीसी सड़क बना दी गई। वहीं दूसरी ओर सड़क का निर्माण कार्य अभी तक नहीं किया गया। इसको लेकर क्षेत्र के पार्षद मनोज विश्नोई ने जब ठेकेदार से बात की तो उन्होंने अभियंता द्वारा कार्य न करने की बात कही। इसको लेकर पार्षद अभियंता से भी मिले। तो एक्सईएन ने न्यास सचिव द्वारा कार्य निरस्त करने की सूचना दी। इस पर विश्नोई ने सचिव यशपाल आहुजा से मिलकर कारण जाना तो सचिव ने कलक्टर द्वारा निविदा को ही निरस्त करने की बात कहते हुए निर्माण कार्य नहीं करने को कहा। ऐसे में विश्नोई ने इसको लेकर रोष जताया। पार्षद विश्नोई का कहना है कि वार्ड में विकास के दो टेण्डर लगाएं गये। जिसे राजनीतिक कारणों से निरस्त कर दिया गया है। जो न्यास संगत नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर निकाली गई निविदा कार्य जल्द शुरू नहीं किया गया तो आने वाले समय में नगर विकास न्यास के खिलाफ आन्दोलन किया जाएगा।
निर्माण कार्य निविदा निरस्त करने पर चर्चाओं का बाजार गर्म
उधर वार्ड 35 में निकाली गई दोनों निविदाओं को निरस्त करने को लेकर अब तरह तरह की राजनीतिक चर्चाएं हो रही है। कोई इसे विश्नोई द्वारा बीकानेर पूर्व से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा से जोड़ रहे है तो कोई निर्माण कार्य के समय ठेकेदार द्वारा निर्माण सामग्री में गड़बड़ी करने पर प्रशाासन का विरोध करने से। ऐसे में शहर की पॉश कॉलोनी में सड़क के बदतर हालात का खामियाजा न केवल क्षेत्र की जनता भोग रही है। बल्कि इस इलाके से रोजाना निकलने वाले हजारों लोग। मजे की बात तो यह है कि इस पॉश इलाके में स्कूल,कोचिंग संस्थाएं,चिकित्सकों व अधिकारियों के आवास है। जहां से टूटी व अधूरी सड़क की प्रसव पीड़ा को हर वर्ग के लोगों को भोगना पड़ रहा है। जबकि प्रशासन हर बैठकों में इस बात का दावा करता है कि शहर में कही गढ्ढे न हो अगर है तो उसे तुरंत दुरूस्त किया जाएं। ऐसे में वार्ड 35 की मुख्य सड़क के हालात को देखते हुए लगता है कि प्रशासन की बैठकों में बाते। बाते बातों का क्या वाली कहावत चरितार्थ होती है।
अपनों से ही जूझ रहे पार्षद
मंजर यह है कि कांग्रेस की सरकार में कांग्रेस व उनके समर्थक पार्षदों को बार बार इस पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है। एक बार नहीं कई बार पार्षदों ने नगर विकास न्यास के खिलाफ आवाज बुलंद की है। फिर भी सरकार के मुखिया इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। जिससे लगता है कि आने वाले चुनावों में कही न कही पार्टी के उम्मीदवारों को विरोध का सामना न करना पड़े।

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